कटिहार:जिले में गरीबों के आशियानें बस नहीं पा रहे हैं. मामला बरारी प्रखंड के मोहना चांदपुर का है. जहां 3 साल पहले कुछ गरीबों के पक्ष में कोर्ट का निर्णय आया, लेकिन दखल और रसीद कटाने के लिए वह सरकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. इनकी माने तो अधिकारियों की मनमानी से यह परेशान हैं. घर नहीं होने के चलते इन्हे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
कटिहार: पक्ष में निर्णय आने के बाद भी दखल और रसीद के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे किसान - लापरवाह अफसर शाही
सीताराम चंद्रवंशी बताते हैं कि लापरवाह अफसर शाही की वजह से उनका हक नहीं मिल पा रहा है. 3 साल पहले हमारे पक्ष में जजमेंट आया लेकिन पदाधिकारी जमीन का दखल और रसीद देने से इनकार कर रहे हैं. बताया कि 50 से भी अधिक गरीब किसान हैं. जो आज भी सरकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं.
'टालमटोल कर रहे अंचलाधिकारी'
पीड़ित किसान कटिहार समाहरणालय में अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं. यह किसान बरारी प्रखंड के मोहना चांदपुर से आए हैं. उन्होंने बताया कि 3 साल पहले उन्हें अनुमंडल भूमि उप समाहर्ता के कोर्ट से जमीन के स्वामित्व का अधिकार मिल गया, लेकिन उससे बड़ी लड़ाई अब यह अधिकारियों से लड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि स्वामित्व के कागजात मिलने के बाद भी उक्त जमीन के लिए रसीद और दखल लेनी पड़ती है. जो नहीं मिल पा रही है. मोहना चांदपुर निवासी मुरारी राम बताते हैं कि हमारे पक्ष में जजमेंट मिला है. साथ ही अंचल अधिकारी को दखल देने और रसीद काटने के लिए निर्देशित किया गया है. लेकिन अंचलाधिकारी टाल मटोल कर टहला देते हैं.
'जमीन का दखल करने से इनकार कर रहे अधिकारी'
सीताराम चंद्रवंशी बताते हैं कि लापरवाह अफसर शाही की वजह से उनका हक नहीं मिल पा रहा है. 3 साल पहले हमारे पक्ष में जजमेंट आया लेकिन पदाधिकारी जमीन का दखल और रसीद देने से इनकार कर रहे हैं. बताया कि 50 से भी अधिक गरीब किसान हैं. जो आज भी सरकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. उन्होंने कहा कि निर्णय के 3 साल हो गए हैं. अभी तक जमीन का दखल और रसीद नहीं काटा गया है. लिहाजा जिलाधिकारी को फिर से आवेदन देने आए हैं.