कटिहार: लॉकडाउन के बीच बिहार सरकार ने जहां लोगों को दिनचर्या के काम में थोड़ी छूट दी है. वहीं, कटिहार में लगातार बढ़ रहे कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या ने आम लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. जिले में लगातार आ रहे प्रवासी मजदूरों की वजह से कोरोना संक्रमण के मामले में प्रदेश में कटिहार टॉप सिक्स में जा पहुंचा है. इसका परिणाम ये रहा कि पहले कभी चहल-पहल से गुलजार रहने वाले सड़क, गली और मुहल्लों में अब आपातकाल जैसा नजारा दिखाई पड़ रहा है.
स्टेडियम में चारों ओर पसरा सन्नाटा
गौरतलब है कि कोरोना महामारी से खेल के मैदान भी अछूते नहीं रहे. इन दिनों कुछ ऐसा ही नजारा जिले के राजेंद्र प्रसाद स्टेडियम का भी है. बता दें कि यह स्टेडियम पहले खिलाड़ियों की चहलकदमी से गूंजा करता था, लेकिन आज यहां केवल पक्षियों और आवारा पशुओं के अलावा कोई नजर नहीं आता है. लॉकडाउन से पहले यहां रोजाना क्रिकेट समेत अन्य खेलों के खिलाड़ी सुबह से शाम तक प्रैक्टिस करते नजर आते थे, लेकिन आज स्टेडियम में चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है.
राजेंद्र प्रसाद स्टेडियम में पसरा सन्नाटा खेल के मैदान में छाई खामोशी
पूरे दिन चहल-पहल से गूंजायमान रहने वाला शहर के बीचोबीच स्थित राजेंद्र प्रसाद स्टेडियम कोरोना महामारी के कारण सुना पड़ा है. आलम यह है कि इस समय सटेडियम में एक भी खिलाड़ी नजर नहीं आ रहा है. इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि सदर इलाके में लगातार सामने आ रहे मामले के बाद आधा शहर कंटेंमेंट जोन घोषित हैं. इसलिए प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य आवाजाही प्रतिबंधित हैं. ऐसे में खेल के मैदान में भी खामोशी छा गई है.
'लॉकडाउन का इफेक्ट या कोरोना का असर'
स्टेडियम में लॉकडाउन से पहले करीब 50 से 60 खिलाड़ी हर समय अभ्यास करते थे. मामले में स्थानीय पंकज ने बताया कि मैदान में खिलाड़ी हमेशा प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण खिलाड़ियों ने यहां आना ही छोड़ दिया है. रोहित सिंह बताते हैं कि इसे कोरोना का खौफ या लॉकडाउन का इफेक्ट कह लीजिए. खिलाड़ी काफी कम मैदान में आते हैं. वहीं अब तो केवल आसपास के इक्का-दुक्का लोग ही किसी तरह यहां पहुंच रहें हैं.
युवाओं के प्रदर्शन पर पड़ा गहरा असर
वहीं, स्थानीय सौरभ कुमार सिंह ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से मैदान में घासें उग आई हैं. जिससे क्रिकेट प्रैक्टिस में परेशानी होती है. कोरोना काल मे खिलाड़ियों के रूटीन पर लंबा ब्रेक लगा है. साथ ही प्रतियोगी परिक्षाओं के लिए फिजिकल प्रैक्टिस करने वाले युवाओं के प्रदर्शन पर भी गहरा असर पड़ा है.