कटिहार:जिले में लोगों का पशुपालन की ओर रुझान बढ़ रहा है. मुर्गी पालक किसान सोनाली प्रजाति के मुर्गियों का पालन कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. इससे गांव के कई बेरोजगार युवकों को रोजगार मिलने के साथ ही किसान मुर्गी पालन कर सालाना बेहतर मुनाफा भी कमा रहे हैं. इतना ही नहीं यहां युवाओं को भी मुर्गी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
हाल के वर्षों में मुर्गी पालन व्यवसाय का रूप ले चुका है. काफी संख्या में युवा मुर्गी पालन व्यवसाय से जुड़ रहे हैं. हालांकि परंपरागत स्रोत के कारण नुकसान की संभावना अधिक होने के कारण कभी-कभी किसानों को भारी नुकसान का सामना भी करना पड़ता है. इन जोखिमों का काट निकालते हुए जिले के मुर्गी पालक किसान सोनाली प्रजाति की मुर्गियों का पालन कर रहे हैं. बता दें कि सोनाली प्रजाति किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. मुर्गी का यह प्रजाति सामान्य मुर्गियों के प्रजाति से काफी अलग है. देसी मुर्गी की तरह दिखने वाली सोनाली मुर्गियां स्वाद में बेहतर होती हैं. इस वजह से इनका बाजार मूल्य भी ज्यादा है.
'सोनाली मुर्गी की बिक्री मूल्य अधिक'
कटिहार प्रखंड के सरदाही गांव के निवासी संजय ऊरांव अपने गांव में सोनाली मुर्गी का पालन कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. इतना ही नहीं अपने इस काम से वह में गांव के कई अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. बता दें कि सोनाली प्रजाति के इस मुर्गी में बीमारी की संभावना काफी कम होने के कारण नुकसान न के बराबर होता है. जबकि इसकी वृद्धि पोल्ट्री की भांति ही होती है. देसी शक्ल और स्वाद के कारण इसकी डिमांड भी बाजार में अधिक होती है. इस कारण इसकी बिक्री मूल्य अधिक होती है.
'ब्यॉलर मुर्गापालन में अत्यधिक जोखिम'
सोनाली प्रजाति की मुर्गियों के छोटे-छोटे चूजे 25 से 30 रुपये में मुख्यतः पश्चिम बंगाल के मालदा से मंगाई जाती है. जो 3 महीने में करीब एक से डेढ़ किलोग्राम के वजन का हो जाता है. इसकी बाजारों में कीमत लगभग 280 प्रति किलो है. सोनाली प्रजाति के इस मुर्गी पालन में मुर्गी पालकों को कम लागत में बेहतर मुनाफा हो रहा है. इससे संजय जैसे नवयुवक सलाना 2 से 3 लाख रुपए कमा रहे हैं. संजय बताते हैं कि इसी वर्ष से सोनाली प्रजाति के मुर्गी पालन कर रहे हैं. इसमें बेहतर मुनाफा हो रहा है. वहीं इससे पहले वो पोल्ट्री ब्यॉलर फॉर्म मुर्गा का पालन करते थे. इसमें उन्हें अत्यधिक नुकसान होता था.
लॉकडाउन में रोजगार की कमी
मुर्गी पालक संजय उरांव ने बताया कि बीमारी अधिक होने के कारण पोल्ट्री ब्यॉलर फॉर्म के मुर्गों में नुकसान ज्यादा था. वहीं इस सोनाली प्रजाति के मुर्गी पालन में अच्छा मुनाफा होने के साथ ही इसका रखरखाव भी काफी सुलभ है. उन्होंने बताया कि सोनाली प्रजाति के मुर्गियों की डिमांड बिहार के दूसरे अन्य जिलों में अधिक है. इसकी सप्लाई दूसरे जिलों में करते हैं. संजय ने मुर्गी पालन के जरिए गांव के कई युवाओं को रोजगार दिया. वहीं इनके फार्म पर काम करने वाले सीताराम ने बताया कि लॉकडाउन में रोजगार की कमी है. जिस कारण इसी पोल्ट्री फॉर्म में काम मिल गया है. इससे वो अपना घर-परिवार चला रहे हैं.
किसानों को मिल रहा बेहतर मुनाफा
गौरतलब है कि लॉकडाउन के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. उन्हें रोजगार देने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है. इसी क्रम में सरकार पशुपालन को भी बढ़ावा देने के साथ ही लोगों को उससे जुड़ने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है. पशुपालन के क्षेत्र में जुड़े लोगों को सरकार की ओर से हरसंभव अनुदान भी दी जा रही है. कटिहार जिले के लोग पशुपालन करके बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं.