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HC की चाबुक से भी नहीं डरे सरकारी बाबू, भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे कॉन्ट्रेक्टर - डीपीआरओ

कटिहार में लाल फीताशाही चरम पर है. कॉन्ट्रेक्टरों को हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा. वर्तमान डीपीआरओ के मुताबिक बिना उनकी मर्जी के कॉन्ट्रेक्टरों का भुगतान कोई नहीं करा सकता है.

पीड़ित संवेदक

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Published : Jul 14, 2019, 9:34 AM IST

कटिहार: कटिहार में सरकारी बाबू की लालफीताशाही ऐसी है कि माननीय कोर्ट का आदेश भी नजरअंदाज कर दिया जाता है. आलम यह है कि पटना हाईकोर्ट द्वारा आदेश दिए जाने के बाद भी अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सो रहे हैं. जिले के पीड़ित कॉन्ट्रेक्टरों का भुगतान नहीं हो पा रहा है. सभी पीड़ित न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं.

गौरतलब है कि जिले में मुख्यमंत्री सेतु योजना के अन्तर्गत 2017-18 में पुल-पुलिया का निर्माण कराया गया. कार्य पूरा होने के बाद भी एक दर्जन से अधिक कॉन्ट्रेक्टरों का भुगतान बाकी है. भुगतान के लिए कॉन्ट्रेक्टर दर-दर भटक रहे हैं.

इंसाफ के लिए भटक रहे कटिहार के कॉन्ट्रेक्टर

जिलाधिकारी ने भुगतान पर लगाई रोक
पीड़ितों ने बताया कि पच्चीस लाख से कम लागत वाले दर्जनभर से अधिक पुल-पुलिया का निर्माण कराया. कार्य जल्दी पूरा करने का दबाव भी बनाया गया. किसी तरह कर्ज लेकर कार्य को पूरा किया. हालांकि, कार्य पूरा होने के बाद प्रारंभिक भुगतान भी हुआ. लेकिन बाद में जिलाधिकारी ने इस पर रोक लगा दी. कई बार गुहार भी लगाया. लेकिन जिला पदाधिकारी से इंसाफ नहीं मिल सका.

पीड़ित कॉन्ट्रेक्टर

कोर्ट की अवमानना कर रहे अधिकारी
कॉन्ट्रेक्टरों ने इसकी शिकायत उच्च न्यायालय में दर्ज करायी. हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को फटकार लगाते हुए भुगतान का आदेश दिया. लेकिन अधिकारियों के कान में जू तक नहीं रेंगी. परेशान कॉन्ट्रेक्टरों ने दोबारा अवमानना के खिलाफ भुगतान की गुहार लगायी जो न्यायालय में विचाराधीन है.

पीड़ित कॉन्ट्रेक्टर

अधिकारियों की मनमर्जी से परेशान
पीड़ित राजीव झा ने बताया कि भुगतान के लिए दौड़ते-दौड़ते अब थक गए हैं. किसी पदाधिकारी ने हमारी बात नहीं सुनी. यदि किसी को काम पर शंका है तो इसकी जाँच करवा लें. लेकिन भुगतान रोकना उचित नहीं है. डीपीआरओ महोदय कहते हैं कि, 'हमलोगों से बड़ा थोड़े है कोई, जो आप लोग अपने मन से भुगतान ले लीजियेगा.' वहीं पीड़ित कॉन्ट्रेक्टर सुशील झा ने बताया कि इस कार्य को पूरा करने में सिर पर लाखों का कर्ज हो गया है. ऊपर से कर्ज का ब्याज अलग. समझ में नहीं आ रहा क्या करें, कैसे करें. कोई सुनने वाला नहीं है.

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