कटिहार:सीमांचल में बाढ़ की त्रासदी से लोग हर साल परेशान होते है. यहां हर साल सैलाब आती हैं और जाती हैं, लेकिन समस्याएं जस की तस विकराल रूप धारण किए रहती हैं. दरअसल, कटिहार के कदवा विधानसभा क्षेत्र में 1987 में महानंदा नदी में आए भीषण बाढ़ ने शिवगंज पुल को लील लिया था, तब से यहां पर आवागमन को दोबारा चालू करने के लिए छोटे-छोटे दो पुल बने.
लेकिन वह भी बाढ़ के सैलाब ने निगल लिया. अब हालात ऐसे हैं कि तीसरी बार करोड़ों की लागत से जो पुल का निर्माण हो रहा हैं. उसकी भी मियाद मार्च 2020 में खत्म हो गयी, लेकिन पुल आधा-अधूरा ही खड़ा हो पाया है. नतीजा यह हैं कि लोग टूटे ईंटों के टुकड़ों से बने डायवर्सन से होकर आवाजाही करते हैं, जिसके कारण यहां के लोगों को परेशानी होती है.
टूटे ईंटों के टुकड़ों से बना डायवर्सन लोगों की आवाजाही के लिए नाव ही सहारा
कदवा विधानसभा क्षेत्र के शिवगंज पुल से कम से कम प्रतिदिन हजारों की आबादी गुजरती हैं, लेकिन 33 साल पहले महानन्दा नदी में आये भीषण बाढ़ ने आवागमन के इस मुख्य पुल को ध्वस्त कर डाला था. जिसके बाद से लेकर आजतक लोग आवाजाही की समस्या से जूझ रहे हैं. इस बीच दो बार छोटे-छोटे पुल का निर्माण हुआ. लेकिन उसे भी बाढ़ ने लील लिया. हर साल आने वाली बाढ़ की त्रासदी के समय लोगों की आवाजाही के लिए नाव ही सहारा बनती है. इसके बाद सरकार ने करोड़ों की लागत से एक बड़े पुल के निर्माण की घोषणा की, लेकिन बदनसीबी देखिये इसके भी निर्माण की मियाद मार्च 2020 में खत्म हो गई.
शिवगंज पुल का निर्माण होगा चुनावी मुद्दा
गर्मी के दिन में निर्माणाधीन पुल के बगल में एक डायवर्सन बनाया गया हैं. जिससे होकर गुजरना भी किसी चैलेंज से कम नहीं है, क्योंकि जो डायवर्सन बनाया गया हैं उसपर ईंट के टुकड़ों को गिराकर राहगीरों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया हैं. राहगीर संजय कुमार बताते हैं कि डायवर्सन से होकर गुजरना मजबूरी हैं, लेकिन जो हालात हैं. वह एक बड़ी परेशानी से कम नहीं है. वहीं स्थानीय प्रभात कुमार मिश्रा बताते हैं कि पुल निर्माण में हो रही देरी लोगों के लिये परेशानी का सबब हैं. इस चुनाव में शिवगंज पुल का निर्माण बड़ा चुनावी मुद्दा होगा.
लोगों को समस्याओं से कब मिलेगी निजात
बता दें कि कटिहार जिले में तीसरे चरण में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी शोरगुल के बीच नेताओं के द्वारा विकास के लंबे-चौड़े वादे किये जा रहे हैं, लेकिन मतदाताओं ने भी इस बार कमर कस लिया हैं. मतदाताओं ने कहा है कि जो विकास का मुकम्मल गारंटी देगा. ईवीएम मशीन की बटन उसी की ओर दबेगी. अब देखना दिलचस्प होगा कि कदवा विधानसभा क्षेत्र की इस बड़ी समस्याओं से लोगों को कब तक निजात मिल पाती हैं.
स्थानीय प्रभात कुमार मिश्रा