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लॉकडाउन की मार: कुछ तो करो सरकार भूखे हैं शिल्पकार

'शुभ विवाह' एवं भगवान की तस्वीर और उसपर लाल-पीले मोतियों के साथ रंग बिरंगें प्लास्टिकों से बने सेहरे को खूबरसूरत अंदाज दे रहे हस्तकला शिल्पकार इन दिनों लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं.

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Published : May 27, 2020, 10:50 PM IST

Updated : May 29, 2020, 10:28 AM IST

कटिहार: महीनों से लागू इस लॉकडाउन ने सभी की जिंदगी के पहिये पर लगाम लगा दिया है. हालांकि इस बार कई चीजों में रियायत मिलने के बाद धीरे-धीरे जिंदगी दोबारा पटरी पर लौट रही है. लेकिन, अभी भी कई लोग ऐसे हैं जिनपर भुखमरी की संकट बरकरार है. लॉकडाउन में शादी-विवाह और सगाईयों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. ऐसे में दूल्हे के सेहरा को सुहाना बनाने वाले हस्तकला शिल्पकारों की जिंदगी बदरंग हो गयी है.

दूल्हे का सेहरा

छीन गई रोजी-रोटी
भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के तहत दिए गए ट्रेनिंग के बाद ये शिल्पी विभिन्न हस्तकला सामानों का निर्माण करते हैं. इन हस्तकला सामानों का उपयोग शादी-विवाह के दौरान अहम रोल अदा करने वाले सेहरा में भी होता है. लेकिन इस बार कोरोना वायरस से बचाव और संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के कारण इनकी रोजी-रोटी छीन गई है.

पेश है एक रिपोर्ट

लॉकडाउन में कारोबार भी लॉक
हस्तकला शिल्पकार शारदा डे बताती हैं कि ऐसे तो सेहरे का कारोबार सालों भर चलता है, लेकिन लग्न के सीजन में बहुत काम होता है. एक दिन में कम से कम चालीस से पचास सेहरा बनाने होते हैं. एक सेहरे पर 50 से 100 रुपये की बचत हो जाया करती थी. वे सभी अपना बनाया हुआ सामान स्थानीय बाजारों में सफ्लाई करते थे. लेकिन इस लॉकडाउन में शादी-विवाह पर रोक की वजह से उनका कारोबार भी लॉक हो गया है.

भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय से मिली है ट्रेनिंग

वहीं, हस्तकला शिल्पकार गौतम डे बताते हैं कि सारा माल बन कर घर मे पड़ा हुआ है, लेकिन बाजार बंद होने की वजह से इसपर धूल की परतें जमने लगी हैं. लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा है, सिवाय घर में बैठने के. उन्होंने बताया कि पैसे नहीं होने के कारण ङर भी चलाना मुश्किल हो रहा है.

सामान बनाते शिल्पकार

सरकार से मदद की उम्मीद
दाने-दाने को मोहताज शिल्पकारों पर भुखमरी की संकट उत्पन्न हो गई है. इनकी निगाहें अब केवल सरकार पर टिकीं है, जिनसे मदद की उम्मीद लगाअ बैठे हैं. इस लॉकडाउन में खामोश शहनाइयों के साथ सेहरा पहनाने की परंपरा पर ब्रेक लग चुकी है. हर कोई इस साल के गुजर जाने या फिर अपने कैलेंडर से इसे हटाने की बात कर रहा है, क्योंकि 2020 ने जिंदगी को इतनी महंगी कर दी है कि मौत हर गली-मुहल्लों और सड़कों पर खुलेआम घूम रही है.

Last Updated : May 29, 2020, 10:28 AM IST

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