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कैमूर: हाई स्कूल नहीं होने से जान जोखिम में डाल बच्चे यूपी जाते हैं पढ़ने, सरकार लापरवाह

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Published : Aug 11, 2019, 2:34 PM IST

धरहड़ पंचायत में उच्च शिक्षा के लिए एक भी विद्यालय नहीं है. जिसकी वजह से छात्रों को 8वीं तक की पढ़ाई के लिए गांव से कर्मनाशा नदी को पार कर उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के भुजना गांव हाई स्कूल जाना पड़ता है.

नाव पर सवार होकर 1200 विद्यार्थी जाते हैं यूपी पढ़ने

कैमूर: नीतीश कुमार के राज में बिहार की शिक्षा व्यस्था कुछ ऐसी है कि छात्रों को नदी को पार कर उत्तर प्रदेश शिक्षा के लिए जाना पड़ता है. पिछले 50 वर्षों से दुर्गावति प्रखंड के धरहड़ पंचायत में कान्हपुर गांव से लगभग 10 गांव के छात्रों को जान जोखिम में डालकर कर्मनाशा नदी को पार कर उत्तरप्रदेश शिक्षा के लिए जाना पड़ता है.

जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते बच्चे


उच्च शिक्षा के लिए नहीं है एक भी विद्यालय

बता दें कि धरहड़ पंचायत में उच्च शिक्षा के लिए एक भी विद्यालय नहीं है. जिसकी वजह से छात्रों को 8वीं तक की पढ़ाई के लिए गांव से कर्मनाशा नदी को पार कर उत्तरप्रदेश के चंदौली जिले अंतर्गत भुजना गांव स्थित हाई स्कूल जाना पड़ता है. कई गांव तो ऐसे हैं जहां के बच्चे 5वीं तक के पढ़ाई के बाद यूपी शिक्षा के लिए जाने लगते हैं. यह समस्या आज की नहीं है. गाँव के जानकार बताते हैं कि यह समस्या उनके दादा परदादा के समय से चला आ रहा है. लेकिन सरकार ने अबतक ना पंचायत के आसपास कोई स्कूल खोला और ना ही नदी पर पुल का निर्माण कराया है.

नाव में बैठकर स्कूल जाते बच्चे


जान जोखिम में डालकर स्कूल आते हैं बच्चे
उत्तरप्रदेश के राजकुमार इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य राकेश सिंह ने बताया कि उनके विद्यालय में 60 प्रतिशत बच्चे बिहार के हैं. जिनकी संख्या करीब 1200 है. जो प्रतिदिन नाव से नदी को पार कर स्कूल आते हैं. बच्चों को आने में देरी भी होती है, लेकिन शिक्षा के लिए लालायित बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल आते हैं. उन्होंने बताया कि एक तरफ यूपी तो दूसरे तरफ बिहार है और बीच मे कर्मनाशा नदी है. ऐसे में अगर सरकार एक पुल का निर्माण करवा देती तो बच्चों को परेशानी नहीं होती और उन्हें बेहतर शिक्षा उपलब्ध करवाई जा सकती है.

कैमूर में रोजाना नाव पर सवार होकर 1200 विद्यार्थी जाते हैं यूपी पढ़ने


बच्चों को होती है बहुत परेशानी
वहीं बिहार स्थित कान्हपुर के शिक्षिका डिम्पल कुमारी ने बताया कि यह खुद उनका दुर्भाग्य है कि बचपन में नाव पर सवार होकर शिक्षा के लिए यूपी जाती थीं और आज स्कूल में पढ़ाने के लिए नाव पर सवार होकर आती हैं. समय बदलता गया लेकिन गांव के हालात नहीं बदले. उन्होंने बताया कि पंचायत से 5 किमी के दायरे में उच्च शिक्षा के लिए कोई स्कूल नहीं है. ऐसे में यूपी का स्कूल नदी के करीब है. उन्होंने बताया कि बच्चों को बहुत परेशानी होती है क्योंकि नाव में एक बार में सभी बच्चे नहीं जा सकते हैं.

छात्रों को होती है बहुत परेशानी


कई बार जिला प्रशासन को दिया गया आवेदन
पंचायत के उपमुखिया प्रमोद राजभर कहते हैं कि उनके पंचायत में उच्च शिक्षा के लिए विद्यालय नहीं हैं. जिसके कारण बच्चों को रोजाना नाव पर सवार होकर यूपी जाना पड़ता है. मुखिया ने बताया कि उन्होंने कई बार अपने और अपने साथियों के स्तर से कर्मनाशा नदी पर पुल बनाने के लिए जिला प्रशासन को आवेदन दिया गया है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है.


कई बार हो चुकी है दुर्घटना
वहीं, गांव के निवासी मनोज कुमार राजभर ने बताया कि सबसे अधिक परेशानी जुलाई से नवम्बर तक होती है. कई बार दुर्घटना भी हो चुकी है और कुछ बच्चों की मौत भी हो गई है. मुख्यमंत्री ने इस नदी पर कैनाल पंप का शिलान्यास किया है. लेकिन पुल की ख्वाहिश अभी तक पूरी नहीं हुई है. जबकि कैनाल के उदघाटन के समय आये मुख्यमंत्री को पंचायत के मुखिया और अन्य पदाधिकारियों के सहयोग से पुल निर्माण करवाने के लिए सूचना भी दी गई थी.

कर्मनाशा नदी

क्या कहते हैं छात्र
नाव पर सवार होकर स्कूल जा रहे छात्रों ने कहा कि उन्हें डर लगता है कि कहीं नाव पलट ना जाए. कई बार दुर्घटना भी हो चुकी है. लेकिन बिहार में उनके पंचायत में स्कूल नहीं है. इसलिए उन्हें पढ़ाई करने के लिए यूपी जाना पड़ता है. बच्चों ने सीएम नीतीश कुमार से पुल बनवाने की गुहार भी लगाई है.

स्कूल जाने के लिए नाव पर बैठते बच्चे


क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं, प्रभारी डीएम सह जिला अपर समाहर्त्ता सुमन कुमार ने बताया कि सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार प्रत्येक पंचायत में हाई स्कूल का प्रावधान है. धरहड़ पंचायत के मिडिल स्कूल को अपग्रेड किया जा रहा है. अगले साल पंचायत में हाई स्कूल तक की पढ़ाई शुरू हो जाएगी. पुल निर्माण के लिए भी सरकार को प्रपोजल बनाकर भेजा जाएगा.

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