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गुप्तेश्वरनाथ धाम: बाबा तो पूरी कर देंगे मनोकामना, नीतीश बाबू आप भी सुन लो भक्तों की दास्तां - baba shiv

बाबा का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों को पहाड़ी की दुर्गम चढ़ाई और जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है. सावन के सोमवार को यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं कहते है कि बाबा हरेक मनोकामना पूरी करते हैं.

problems of Devotees who come in gupteshwar nath dham kaimur

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Published : Jul 23, 2019, 10:30 PM IST

Updated : Jul 24, 2019, 3:52 PM IST

कैमूर: सावन के दिनों में पहाड़ियों पर विराजमान बाबा गुप्तेश्वरनाथ के गुप्त धाम में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. वहीं, इस भगवान गुप्तेश्वरनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को दुर्गम रास्ते और पहाड़ी चढ़नी पड़ती है. हर-हर महादेव के जयकारों से पहाड़ी गुंजायमान हो जाती है. इन सब के बीच श्रद्धालुओं ने बिहार सरकार से सड़क निर्माण की मांग रखी है.

सावन के महीने में यहां यूपी, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है. लेकिन बाबा का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों को पहाड़ी की दुर्गम चढ़ाई और जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है. सावन के सोमवार को यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है.

भक्तों में जुनून

कहां पड़ता है बाबा का धाम...
बाबा का धाम रोहतास जिले के चेनारी प्रखंड अंतर्गत के अंतर्गत आता है. यहां कैमूर जिले के साथ-साथ यूपी और मध्यप्रदेश के श्रद्धालु उगहनी घाट से आते हैं, जबकि रोहतास, झारखंड और छत्तीसगढ़ से आने वाले श्रद्धालु रेहल, पनारी घाट या ताराचण्डी धाम के रास्ते कैमूर पहाड़ी को पार कर दर्शन के लिए पहुंचते हैं. रोहतास जिला मुख्यालय, सासाराम से गुप्तधाम गुफा की दूरी लगभग 55 किमी है, तो दूसरी तरफ कैमूर जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 56 किमी का दुर्गम रास्ता तय करना पड़ता है.

गुप्तधाम और इसकी मान्यता
भक्तों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्तनाथ धाम के बारे में मान्यता है कि जब दैत्य भष्मासुर ने घोर तपस्या के दौरान महादेव से वरदान मांगा कि वो, जिसके ऊपर हाथ रख दे, वो भष्म हो जाए. औघड़ दानी भगवान भोले नाथ ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान भी दे दिया. इसके बाद भष्मासुर ने पाए हुए वरदान का प्रयोग भोले नाथ पर ही करने की मानसिकता घर कर ली. उसी से बचने के लिए भगवान शिव कैमूर की इस पहाड़ी पर आकर छिपे.

ऐसे चढ़ते हैं पहाड़ी

रहस्यमयी है बाबा का धाम
कैमूर पहाड़ पर चारो तरफ जंगलों से घिरी हुई ये गुफा रहस्यमयी है. गुप्तधाम के मुख्य द्वार से लगभग 363 फीट अंदर गुफा में जाने के बाद बाबा गुप्तेश्वर का दर्शन होता है. यहां शिवलिंग पर गुफा की छत से हर वक्त पानी टपकता रहता है. इस जल को भक्त प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं. धाम से करीब डेढ किमी पूर्व सीता कुंड है. यहां स्नान करने के बाद ही भक्त जल लेकर बाबा का दर्शन और जलाभिषेक करते हैं.

ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था
बाबा गुप्तेश्वर के दर्शन के लिए आए भक्तों के लिए गुप्तधाम में स्थानीय प्रशासन और कमेटी ने गुफा के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर करती हैं. लेकिन भक्तों के हुजूम के सामने इसकी संख्या कम पड़ जाती है. सावन में गुफा के अंदर भक्तों का हुजूम लगा हुआ रहता है. कितनी बार तो कई भक्त गुफा से जलाभिषेक कर बाहर निकलते ही बेहोश हो जाते हैं. हालांकि, स्थानीय प्रशासन और कमेटी की मुस्तैदी और बाबा की महिमा से आज तक कोई दुर्घटना नहीं हुई है.

परेशानी बताते श्रद्धालु

भक्तों को उठानी पड़ती है समस्याएं
दर्शन करने वाले भक्तों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वो कई सालों से बाबा के दर्शन के लिए यहां आ रहे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जो स्थिति 15 साल पहले थी, वही आज भी है. बस कभी-कभी गुफा में ऑक्सीजन सिलेंडर जरूर लगवा दिया जाता है. बाकी, कोई इंतजाम नहीं हैं. पहाड़ी चढ़ाई के दौरान कहीं भी पानी तक का इंतजाम नहीं है. भक्तों को सरकार और बिहार पर्यटन विभाग से काफी उम्मीदें हैं. फिलहाल, भक्तों के अंदर बाबा की भक्ति का ऐसा नशा होता है कि वो खुद कहते है बाबा सभी की रक्षा करते हैं और उन्हें बाबा पर पूरा विश्वास है. तभी तो शांति के लिए खुशी-खुशी दुर्गम पहाड़ियों की चढ़ाई कर लेते हैं.

लगता है मेला

'कई साथी छूट जाते हैं पीछे'
शिव भक्तों ने बताया कि धाम पर मोबाइल में नेटवर्क नहीं आता है. इस वजह से काफी परेशानी होती है. यदि कोई पहाड़ चढ़ते हुए भूल गया या आगे पीछे हो गया, तो ढूंढना बहुत मुश्किल हो जाता हैं.धाम पर एक नेटवर्क की व्यवस्था सरकार या जिला प्रशासन करा दे, तो कम्युनिकेशन गैप नहीं होगा और पर्यटन के दृष्टिकोण से भी अच्छा होगा. वहीं, यूपी से आए एक युवा भक्त ने कहा कि हम तो जवान हैं, बाबा के दर्शन के लिए पहाड़ी चढ़ लेते हैं. लेकिन बुजुर्गों के लिए सरकार को सड़क निर्माण और डेवलेपमेंट कराना चाहिए.

Last Updated : Jul 24, 2019, 3:52 PM IST

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