कैमूर(महुलत):सूबे में विकास का दावा करने वाले सुशासन बाबू के राज्य में अब भी कई ऐसे गांव और पंचायत हैं, जहां लोगों को बुनियादी सुविधाएं तक नसीब नहीं हैं. एक ओर जहां राज्य में लोकतंत्र का महापर्व बिहार विधानसभा चुनाव 2020 जारी है. वहीं दूसरी ओर जनता अपने जनप्रतिनिधि से खासी नाराज दिख रही है. कैमूर के महुलत पंचायत स्थित बलुआ गांव में लोग किसी तरह गुजर-बसर करने को मजबूर नजर आ रहे हैं.
कैमूर: आजादी के दशकों बाद भी गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव, विकास की बाट जोह रहे ग्रामीण - कैमूर महुलत
कैमूर के बलुआ गांव में विकास का घोर अभाव है. यहां न तो एक स्कूल हैं, न ही उप स्वास्थ्य केंद्र और ना ही तालाब है. जिस कारण यहां रह रहे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित महुलत पंचायत के बलुआ गांव में एक भी स्कूल नहीं है. यहां तक ही गांव में तालाब और उप स्वास्थ्य केंद्र का भी अभाव है. जिस वजह से लोगों को काफी परेशानियां होती हैं. वर्तमान में यहां से विधायक एनडीए की रिंकी पांडे हैं. लोगों की मानें तो उन्होंने विकास का कोई काम इलाके में नहीं किया.
अंधकार में छात्रों का भविष्य
स्थानीय लोगों की मानें तो कुदरा भभुआ के बीच महुलत पंचायत का एक ऐसा गांव जहां पर एक भी स्कूल नहीं है. ऐसे में गांव के युवा पढ़ाई करने के लिए दूसरे जगह जाते हैं. ग्रामीणों को कहना है कि यहां रहने वाले बच्चों का भविष्य अंधकार में है. वहीं गांव में एक उप स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है, जहां बीमार होने पर इलाज कराया जा सके. जब भी गांव में कोई बीमार पड़ता है तो स्थिति और दयनीय हो जाती है. इलाज के अभाव में मरीज दम तोड़ देता है.