कैमूर:जरा सोचिए यदि ओडीएफ घोषित जिले के शौचालयों में बकरी बांधी जाती हो, जलावन रखे जाते हों और कई जगह लोग आज भी खुले में शौच के लिए मजबूर हों, तो ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा जिले को खुले में शौचमुक्त घोषित करना जनता के साथ कितनी बड़ी धोखेबाजी है. खासकर तब, जब जिला प्रशासन की वजह से लोग खुले में शौच को मजबूर हैं.
शौचालय में ग्रामीण बांधते हैं बकरी
बता दें कि चांद प्रखंड के हमीरपुर गांव के दलित बस्ती के लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. इस बस्ती में बने शौचालय सही से काम नहीं कर रहे हैं. इसलिए ग्रामीण इसमें बकरी बांधते हैं और लकड़ियां रखते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के दलित बस्ती में 80 घर हैं, लेकिन ओडीएफ के समय जिला प्रशासन ने 25 घरों में शौचालय का निर्माण करवाया था.
जिला प्रशासन नहीं ले रहा कोई सुध
ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण के बाद से ही शौचालय की दीवार टूटकर गिरने लगी. यही नहीं शौच के दौरान गांव की एक बच्ची पर दीवार भी गिर गई थी, जिस वजह से बच्ची को काफी चोटें भी आई थी. इसके बाद गांव के लोगों ने जर्जर शौचालय में शौच के लिए जाना छोड़ दिया. लोगों ने बताया कि गांव में बनाये गए 25 में से सभी शौचालय पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. जो कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं. उनलोगों ने बताया कि आज भी हमलोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. लेकिन जिला प्रशासन इस मामले पर कोई सुध नहीं ले रहा है.