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शारदीय नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा, 9 कुंआरी कन्याओं को कराया गया भोजन

शारदीय नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री के स्वरूप की पूजा पाठ एवं आराधना की जाती है. कैमूर में दुर्गा पंडालों और घरों में श्रद्धालुओं द्वारा पूजा-पाठ और हवन कराया गया इसके बाद नौ कन्याओं को प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण कराया गया.

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Published : Oct 14, 2021, 3:58 PM IST

नवमी के दिन कुंआरी कन्याओं को कराया गया भोजन
नवमी के दिन कुंआरी कन्याओं को कराया गया भोजन

कैमूर (भभुआ):कैमूर जिले में शारदीय नवरात्र महानवमी(Shardiya Navratra Mahanavami) के नौवें दिन घर परिवार की सुख शांति के लिए श्रद्धालुओं द्वारा 9 कन्याओं को भोजन कराया गया. घर परिवार के सुख शांति के लिये आशीर्वाद लिया गया. शारदीय नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री के स्वरूप की पूजा-पाठ (Maa Siddhidatri is worshiped) एवं आराधना की जाती है.

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दुर्गा पंडालों और घरों में श्रद्धालुओं द्वारा पूजा-पाठ और हवन भी कराया जाता है इसके बाद नौ कन्याओं को प्रसाद के रूप में भोजन भी ग्रहण कराया गया. वहीं, भभुआ नगर के वार्ड नंबर 6 निवासी महिला श्रद्धालु अनीता सिंह ने कहा कि- 'नवरात्र में माता रानी की असीम कृपा बनी रहती है. श्रद्धालु 9 दिन उपवास रखकर मां दुर्गा के पंडाल और घरों में पूजा-पाठ करते हैं '

नवदुर्गा के रूप में नौ कन्याओं को भोजन ग्रहण करा कर आशीर्वाद लिया जाता है. घर-परिवार की सुख-शांति के लिए श्रद्धालुओं ने नवरात्र के 9 दिन पूजा-पाठ करते हैं. 'आज हमने भी नौ कुंआरी कन्याओं को नौ दुर्गा के रूप में भोजन कराकर आशीर्वाद लिया ताकि घर परिवार में सुख-शांति बनी रहे.' :अनीता सिंह, महिला श्रद्धालु

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बताते चलें कि शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं. नवमी के दिन माता की पूजा (Durga Puja) आराधना करने का अलग ही महत्व है. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु वर्ष में दो बार 9 दिन की उपासना करते हैं. पहला चैत्र नवरात्र के नाम से जाना जाता है, वहीं दूसरा अश्विन माह में किया जाता है.

जिसको शारदीय नवरात्र कहा जाता है. इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत सात अक्टूबर को हुई. वहीं नवरात्र की समाप्ति 15 अक्टूबर को हो रही है. इस बार के शारदीय नवरात्र में मां का आगमन घोड़ा पर हुआ, जबकि उनकी विदायी गज यानि हाथी पर होगी. बता दें कि बहुत सारे भक्त नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने के बाद अन्न ग्रहण कर लेते हैं.

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माता के नौ स्वरूपों की पूजन विधि 9 दिन की जाती है. ऐसे में जो भी भक्त मां सप्तशती का पाठ केवल फलाहार पर रहकर करते हैं. उनको दशमी के दिन ही भोजन करना चाहिए. दसवीं के दिन ही नमक ग्रहण करना चाहिए.

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