कैमूर:बिहार के कैमूर जिले में स्थित मुंडेश्वरी मंदिर को देश के प्राचीन मंदिरों में गिना जाता है. माता मुंडेश्वरी के मंदिर में नवरात्रि शुरू होते ही लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. वहीं नौ दिन माता के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है.
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थाईलैंड के फूलों से सजा मां मुंडेश्वरी का दरबार: नवरात्रि के दिनों में यहां उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और देश के अन्य राज्यों से हजारों की संख्या में लोग आकर दर्शन करते हैं और मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु दोबारा यहां आकर रक्तहीन बकरे की बाली माता को चढ़ते हैं.
थाईलैंड के फूल बढ़ा रहे शोभा कोलकाता और बेंगलुरु से स्पेशल ऑर्डर से मंगाए गए फूल: "चंद मुंड विनाशिनी" राक्षस मुंड के विनाश के लिए माता रानी ने धरती पर अवतार लिया था.आपको बता दें कि पिछले साल के भांति इस साल भी माता के दरबार को देसी विदेशी फूलों से मंदिर सहित सभी जगहों को सजाया गया है, जिसमें थाईलैंड, कोलकाता और बेंगलुरु से स्पेशल ऑर्डर पर जहाज के माध्यम से फूल मगाए गए हैं. यह फूल पहले वाराणसी स्थित लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर आए उसके बाद एनएच 2 से होते हुए मुंडेश्वरी धाम पहुंचे.
विभिन्न राज्यों से बुलाए गए कारीगर: वहीं इसे सजाने के लिए भी कोलकाता और देश के अन्य राज्यों से कारीगरों को बुलाया गया है, जो दिन-रात मेहनत कर माता के दरबार को सजाने में जुटे हुए हैं. वहीं मुंडेश्वरी धार्मिक न्याय समिति के सदस्य गोपाल जी ने बताया कि "जिन फूलों से माता रानी का सिंगार किया जा रहा है, इसमें बेंगलुरु सिटी से मल्टी कलर रोज (बहुरंगी गुलाब) कोलकाता सिटी से अलग-अलग रंगों के गेंदे का फूल है.
कैमूर का मां मुंडेश्वरी मंदिर "यह फूल अपने जगत में सर्वश्रेष्ठ पर विराजमान है. वहीं इनको सजाने के लिए भी कोलकाता प्रयागराज और देश के अन्य शहरों शेरों से कारीगरों को बुलाया गया है. पिछले साल की तरह इस साल भी माता मुंडेश्वरी के दरबार को सजाया गया है. माता के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं."- गोपाल जी, सदस्य, मुंडेश्वरी धार्मिक न्याय समिति