कैमूर(भभुआ):कैमूर में रामपुर प्रखंड के सीआरपीएफ जवान शेषनाथ तिवारी की दिल्ली में इलाज के दौरान शनिवार की रात मौत हो गई. जलालपुर पंचायत के लिल्ली गांव के शेषनाथ तिवारी उर्फ योगेंद्र तिवारी (35) ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित (suffering from brain tumor)थे. वे कश्मीर में तैनात थे. ड्यूटी के दौरान 26 जून को शेषनाथ की तबीयत खराब हुई,जांच के बाद 28 जून को दिल्ली में ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन हुआ. परिजनों ने बताया कि 8 जुलाई को उनसे बात हुई थी तो उन्होंने बताया कि अब पहले से बेहतर हूं,जल्द ही ठीक होकर घर आऊंगा. इसके बाद मौत की खबर ही आई.
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दिल्ली से सीआरपीएफ की दो गाड़ियों से शव लेकर गांव पहुंचे जवान : सीआरपीएफ के पदाधिकारी व जवान रविवार की रात शेषनाथ का शव लेकर दिल्ली से ट्रक व बस से लिल्ली गांव पहुंचे. गांव में पहले से ही शेषनाथ के दरवाजे पर अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ो की संख्या में स्थानीय लोग, और जनप्रतिनि पहुंचे हुए थे. करमचट थाने की पुलिस भी पहुंची थी. गांव में सीआरपीएफ के गाड़ी से शव पहुंचने पर लोग भारत माता की जय, शेषनाथ अमर रहे जैसे नारे लगा रहे थे.
जवानों ने पुष्प चक्र चढ़ाकर दिया 'गार्ड ऑफ ऑनर': दिल्ली से शव के साथ आए सीआरपीएफ के पदाधिकारी व जवानों ने तिरंगे से ताबूत में लिपटे शव को दरवाजे पर रखा. इस दौरान लोगों की आंखे नम हो गईं. सीआरपीएफ के पदाधिकारी व जवानों के साथ करमचट थाना प्रभारी संजय कुमार सिंह ने मृत साथी शेषनाथ को बारी- बारी से पुष्प चक्र चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी, इसके बाद शोक धुन पर गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया.इस दौरान बीजेपी किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष विमलेश पांडेय सहित कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे.
अंतिम दर्शन के दौरान नम हो गई आंखें :जब दरवाजे पर शव पहुंचा तो वहां उपस्थित सैकड़ों लोगों की आंखें नम हो गईं. परिजनों का भी अपने लाल के शव से लिपट कर रो- रोकर बुरा हाल हो गया. शेषनाथ की 90 वर्षीय मां बारमती कुंवर अपने बेटे के शव से लिपट कर रोने लगीं. रोते- रोते कह रही थीं- उठ.. बाबू, तोहार माई आईल बानी...जाग, उठ ना...
इस दृश्य को देखकर सबकी आंखें भर आईं. पत्नी नीतू देवी अपने पति के शव से लिपट रोते हुए कह रही थीं- अब मेरा कौन सहारा बनेगा, बेटी आराध्या के सपने को कौन पूरा करेगा...तीन भाइयों में शेषनाथ थे सबसे छोटे : परिजनों के मुताबिक शेषनाथ अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे. सभी भाई अलग- अलग रहते वर्ष 2006 में शेषनाथ तिवारी सीआरपीएफ जवान के रूप बहाल हुए थे. वर्तमान में कश्मीर में तैनात थे. परिजनों के साथ अंतिम संस्कार के लिए वाराणसी ले जाया गया,जहां देर रात शव का अंतिम संस्कार किया गया.