कैमूर:जिले में सरकारी राशि का दुरुपयोग और घोटाले का मामला थमने के नाम नहीं ले रहा है. किसी भी सरकारी योजना में मिलीभगत कर घटिया और निम्न स्तर का कार्य करवाकर राशि निकाल ली जाती है. ताजा मामला सदर प्रखंड के डिहरा पंचायत का है. यहां पर सात निश्चय योजना और 14वें वित्त के राशि से स्ट्रीट लाइट में घपला करने का मामला सामने आ रहा है. इस मामले में डीएम ने प्राथमिकी दर्ज करवाने के निर्देश दिए हैं.
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बताया जा रहा है कि न्यायालयसमाहर्ता जिला दंडाधिकारी कैमूर ने विविध वाद संख्या 3/2020 रीता देवी बनाम कंचन देवी और मार्फत पंचायत सचिव मदन मोहन पाल ग्राम पंचायत डिहरा के खिलाफ मामले की सुनवाई की. उन्होंने सुनवाई के बाद पारित आदेश का अनुपालन कराने के लिए निर्देश दिया.
आरोप पत्र गठित करने के निर्देश
इसके साथ ही उन्होंने जिला विधि शाखा के प्रभारी पदाधिकारी को पत्र के माध्यम से पारित आदेशों की प्रति जिला पंचायती राज पदाधिकारी को उपलब्ध करवाने का आदेश दिया. साथ ही बिहार पंचायती राज अधिनियम 2006 की धारा 18(5) के तहत देहरा पंचायत के मुखिया के खिलाफ आरोप पत्र गठित कर पंचायती राज विभाग बिहार पटना को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया.
जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश
इसके अलावा पंचायत सचिव मदन मोहन पाल और कनीय अभियंता के खिलाफ भी आरोप पत्र गठित कर कार्रवाई करने की बात कही. वहीं, संबंधित पंचायत के मुखिया, पंचायत सचिव, कनीय अभियंता और वार्ड 4 और 5 के वार्ड सदस्य ने जो राशि गबन की है, उस राशि का आंकलन करने के बाद थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं.
घटिया स्ट्रीट लाइट लगाकर रुपये की निकासी
इस मामले में सदर प्रखंड के बीडीओ शशिकांत शर्मा ने भी वर्तमान पंचायत सचिव को पत्र के माध्यम से निर्देश दिया है कि ग्राम पंचायत डीहरा के वित्तीय वर्ष 2017-18 में 14वें वित्त आयोग की राशि से घटिया स्ट्रीट लाइट लगाकर कुल 1 करोड़ 23 लाख 28 हजार रुपये की निकासी की गई है. उक्त योजना का अभिलेख 2 दिनों के अंदर उपलब्ध करवाए. इसके अलावा मुख्यमंत्री सात निश्चय से संबंधित वार्ड नंबर- 4 में योजना संख्या एक/2019-20 का मूल अभिलेख भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
2 दिनों में जांच प्रतिवेदन उपलब्ध करवाने के निर्देश
पंचायत के वर्तमान जेई को भी बीडीओ ने निर्देश दिया है कि तथ्यों की जांच कर प्रतिवेदन 2 दिनों में उपलब्ध कराया जाए. ताकि आगे की कार्रवाई हो सके. दरअसल पंचायत सचिव और जेई के जांच के बाद ही यह पता चल पाएगा कि कितनी राशि का घपला हुआ है. फिलहाल दो दिनों के अंदर जांच कर रिपोर्ट मांगी गई है. अगर जांच के बाद आरोप सच साबित हुआ तो पद से प्रतिनिधियों को हाथ धोना पड़ेगा और आगामी पंचायत चुनाव लड़ने से भी वंचित हो जाएंगे. क्योंकि चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि किसी योजनाओं के मामले में प्राथमिकी होने पर उस मुखिया को चुनाव लड़ने से वंचित होना पड़ेगा.