कैमूर: बिहार में सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर लाख दावे कर ले लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र नजदीक नहीं होने से नौनिहालों का पढ़ना दुश्वार हो गया है. दरअसल, कैमूर के अधौरा प्रखंड के बिनोवानगर के रहने वाले बच्चे आंगनवाड़ी में पहाड़ से 12 किलोमीटर दूर है. जिस कारण बच्चे पढ़ने नहीं जा पाते हैं. यदि सड़क से इस केंद्र की दूरी देखी जाए तो लगभग 50 किमी की दूरी है. इतनी लंबी दूरी तय करना बच्चों के लिए कोई आसान काम नहीं है.
बता दें कि सदियों पुराने इस गांव का आंगनवाड़ी केंद्र पहाड़ पर बसा है. ऐसे में आज तक इस गांव के एक भी बच्चे केंद्र पर नहीं पहुंच पाए हैं. ग्रामीण बतातें हैं कि गांव के कई लोगों ने केंद्र को देखा तक नहीं है. ग्रमाीणों ने कहा कि बच्चों को पढ़ने के लिए सरकार को आंगनवाड़ी केंद्र को नजदीक लाने की जरुरत है. बच्चों की सुविधा के लिए सरकार और स्वास्थय विभाग दोनों को इस पर सोचने की आवश्यकता है.
बच्चे और गर्भावती महिला को आजतक नहीं मिला लाभ
सरकार की ओर से आंगनवाड़ी केंद्र पर छोटे बच्चों और गर्भावती महिलाओं के लिए कई योजना चलाई जाती है लेकिन आज तक इस गांव के बच्चों और महिलाओं को एक भी लाभ नहीं मिला है. सरकार की मानें तो केंद्र पर 6 साल से कम बच्चों के लिए टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण, पोषण योजना, स्वास्थ योजना, विद्यालय पूर्व शिक्षा का लाभ आंगनवाड़ी केन्द्र पर दिया जाता है लेकिन अफसोस की बात है कि इस गांव के बच्चों और महिलाओं को यह सब आज तक नसीब नहीं हुआ है.
देवेंद्र कुमार यादव, प्रभारी प्रिंसिपल गांव का प्राथमिक विद्यालय बना सहारा
सरकारी नियमावली की बात करें तो 6 साल से कम उम्र के बच्चों का नामांकन सरकारी विद्यालय में नहीं होता है लेकिन बिनोवानगर के नावनिहलों को उनके माता पिता गांव के प्राथमिक स्कूल भेजते हैं. स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल देवेंद्र कुमार ने बताया कि उन्हें 6 साल से कम उम्र के बच्चों का नामांकन लेना मना है लेकिन गांव में आंगनवाड़ी नहीं होने की वजह से 20-25 छोटे बच्चें जिनके उम्र 6 साल से कम हैं यहीं पढ़ने आते हैं. जिन्हें बिना नामांकन के स्कूल में पढ़ाते हैं और एमडीएम भी खिलाते हैं.
कैमूर से ईटीवी भारत की रिपोर्ट विभाग को सौंपेगी जानकारी
आईसीडीएस की जिला प्रोग्राम अधिकारी रश्मि कुमारी ने कहा कि अधौरा प्रखण्ड भौगोलिक दृष्टिकोण से बहुत जटिल है. उन्होंने कहा कि बिनोवानागर कि जानकारी उन्हें मिली हैं. इस संबंध में विभाग से पत्र लिखकर आंगनवाड़ी को नजदीक लाने की कोशिश की जाएगी. जिससे बच्चों को परेशानी नहीं झेलना पड़े.