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कैमूर में खाद की कालाबाजारी, महंगे दामों पर खाद खरीदने को मजबूर किसान - etv bharat news

कैमूर में खाद की कालाबाजारी खुलेआम हो रही है. किसान महंगे दामों पर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं. इनका आरोप है कि सब कुछ देखकर भी प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए है.

कैमूर में खाद की कालाबाजारी
कैमूर में खाद की कालाबाजारी

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Published : Jan 10, 2022, 5:08 PM IST

कैमूरः एक बार फिर खाद के कारण कैमूर में किसान परेशान (Farmers Upset In Kaimur) हैं. एक तरफ किसानों को खाद नहीं मिल रही है, तो दूसरी तरफ मोहनिया अनुमंडल में खुलेआम खाद की कालाबाजारी (Black Marketing Of Fertilizer In Kaimur) की जा रही है. जो किसान महंगे दामों में खाद खरीद रहे हैं, सिर्फ उन्हें ही खाद दी जा रही है. किसानों का आरोप है कि वो ज्यादा दाम पर यूरिया लेने को मजबूर हैं.

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कैमूर में खाद की किल्लत से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रवि फसल की बुवाई के बाद किसान अपने खेतों में गेहूं की पहली पटवन के बाद खाद खरीदने के लिए बाजारों में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, मोहनिया बाजार स्थित पुराने पेट्रोल पंप के पास दो दुकानों में खाद की कालाबजारी हो रही है. 400 रुपए प्रति बैग की दर से दिनभर खाद दी जा रही है. लेकिन कोई भी प्रशासनिक पदाधिकारी इस पर संज्ञान नहीं लेता. बल्कि खुद प्रशासन द्वारा महंगे दामों पर किसानों को खरीदने के लिए कहा गया.

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किसानों ने कहा कि कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह खाद की कालाबाजारी नहीं होने देने की बात करते हैं, लेकिन यहां तो उन्हीं के अधिकारी इस कालाबाजारी पर चुप्पी साधे हुए हैं. यही नहीं बल्कि खाद वितरण करते समय दुकानों पर कृषि विभाग की तरफ से एक कर्मी को लगाया गया है. इसके बावजूद भी खुलेआम कालाबाजारी की जा रही है. किसानों का आरोप है कि एक बैग यूरिया की कीमत 4 सौ रुपये ली जा रही है.

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कौडीराम से आए एक किसान जाकिर बताते हैं कि उन्हें 800 रुपये में दो बैग यूरिया मिला है. जब उन्होंने प्रशासन से इसकी शिकायत की तो पुलिस ने कहा कि किसी तरह मैनेज करके ले जाओ. किसान ने कहा कि वो लोग सुबह से ही बिना खाए पीए लाइन में लगे हैं. लेकिन कोई नहीं सुन रहा है, मजबूर होकर महंगे खाद खरीद रहे हैं.

बता दें कि सरकार की तरफ से निर्धारित मुल्य के अनुसार किसानों को एक बैग यूरिया की कीमत 266.50 रुपये ही देना है. लेकिन इनसे उससे ज्यादा रुपये लिए जा रहै हैं. वहीं, जब किसान खाद खरीद की रसीद मांगते हैं तो मूल्य रसीद देने से भी दुकानदार इंकार कर देते हैं.

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