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नदी के कटाव से दहशत में जहानाबाद का यह गांव, आधा दर्जन से अधिक घर हो चुके जमींदोज

जहानाबाद जिले का यह गांव हर साल गर्मी का मौसम बदलते ही दहशत में आ जाता है. मॉनसून का आगमन मानो इसके लिए एक श्राप हो! पिछले तीन साल से इस गांव के दर्जेनों घर नदी के आगोश में समा चुके हैं.

Jenahabad
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Published : Jul 30, 2020, 2:39 PM IST

जहानाबाद: जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित नगर प्रखंड के मांदील पंचायत के महादेव बीघा के ग्रामीण बरसात आते ही नदी से गांव के कटाव को ले कर चिंतित हो गए हैं. पिछले तीन वर्षों में तकरीबन आधा दर्जन घरों को अपने आगोश में समा लेने वाली यह दर्धा नदी फिलहाल तो शांत दिख रही है. लेकिन नदी में पानी आते ही आधा दर्जन और मकानों को कभी भी अपने आगोश में ले सकता है.

नदी के कटाव से बचने का कोई भी उपाय नहीं
दर्धा नदी के कटाव से परेशान ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक और अधिकारियों से गुहार भी लगाई है. परंतु अब तक नदी के कटाव से बचने का कोई भी उपाय नहीं किया गया है. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले पांच वर्षों से नदी के बीच में गाद भर जाने से नदी की धारा गांव की तरफ मुड़ गयी है. जिसके कारण नदी से कटाव का जो सिलसिला शुरू हुआ है, वो अब तक जारी है.

देखें रिपोर्ट

नदी के बढ़ते जल स्तर से रात में नहीं सोते ग्रामीण
ग्रामीण दिलीप कुमार ने बताया कि जब भी कभी नदी का जल स्तर बढ़ता है. गांव के लोग रातजग्गा करने लगते हैं. इसके भय से रात में रोज ठीक से सो नहीं पाते हैं. कब इस गांव के मकान नदी के आगोश में समा जाए, कहा नहीं जा सकता. गांव के रहने वाले महेश केवट, रामदाहिन चौधरी, विनोद कुमार सहित कई ग्रामीणों का घर इस नदी में समा चुका है. जबकि गांव की तकरीबन दस बीघा से ज्यादा जमीन भी कट गई है.

ग्रामीण महिलाएं

बरसात के दिनों में रौद्र रूप धारण कर लेती दर्धा
ग्रामीणों ने बताया कि घर की ज्यादातर जमीन के कट जाने की वजह से उन्हें अपने जानवरों को भी अन्य जगहों पर रखना पड़ता है. प्रायः शांत रहने वाली दर्धा नदी बरसात के दिनों में अपना रौद्र रूप धारण कर लेती है. पिछले वर्ष इस नदी में आई बाढ़ ने ना सिर्फ ग्रामीण इलाका बल्कि जहानाबाद शहर में भी काफी तबाही मचाई थी. इस बार भी नदी में पानी बढ़ने की उम्मीद है. क्योंकि मौसम समय पर आ गया है, जिसकी वजह से लगातार जिले में बारिश हो रही है. ऐसे में ग्रामीणों को डर सता रहा कि कहीं ऐसा न हो इस बार भी बाढ़ अपना कहर बरपाना शुरू न कर दे.

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