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इस गांव के लोग नहीं खाते प्याज? जानें क्या है वजह - unique village in Chiri Panchayat

जहां एक तरफ देशभर में प्याज की कीमत आसमान छू रही है. वहीं दूसरी तरफ बिहार में एक ऐसा गांव है जहां के लोगों को प्याज के दाम से कोई मतलब नहीं है.

Jehanabad
खाना बनाती महिला

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Published : Nov 29, 2019, 2:14 PM IST

Updated : Nov 30, 2019, 3:31 PM IST

जहानाबाद: प्याज की कीमत बेतहाशा बढ़ने के बाद जहां लोग सस्ते प्याज के लिए मारामारी कर रहे हैं, वहीं बिहार में एक ऐसा गांव भी है, जहां के लोगों को प्याज महंगा होने से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि वे कभी प्याज खाते ही नहीं.

राज्य के बाकी गांवों व शहरों में प्याज की कीमत में हुई भारी वृद्धि के कारण लोगों के रसोई के बजट बिगड़ गया है. पटना के खुदरा बाजारों में प्याज की कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है, लेकिन इस बढ़ी कीमत का बिहार के जहानाबाद जिले की चिरी पंचायत के एक गांव में इसका कोई प्रभाव नहीं देखा जा रहा है.

त्रिलोकी बिगहा गांव

कभी नहीं आया गांव में प्याज, लहसुन
जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर त्रिलोकी बिगहा गांव के लोग प्याज की बढ़ी कीमतों से ना परेशान हैं और ना ही हैरान, क्योंकि इस पूरे गांव में कोई भी प्याज नहीं खाता. 25 घरों के इस गांव में अधिकांश यादव जाति के लोग हैं, वे भी प्याज और लहसुन किसी भी रूप में नहीं खाते. समूचे गांव में प्याज और लहसुन बाजार से लाना भी मना है.

स्थानीय लोग

परंपरा बन गया गांव में लगा प्रतिबंध
गांव के रहने वाले सोनू और राघवेंद्र कुमार कहते हैं- ऐसा नहीं कि यहां के लोग प्याज, लहसुन की कीमतों में भारी वृद्धि के बाद इसका सेवन नहीं कर रहे हैं. यहां के लोग तो वर्षों से प्याज और लहसुन नहीं खाते. उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज भी प्याज और लहसुन नहीं खाते थे और गांव में आज भी यह परंपरा कायम है. आज इस गांव के लिए यह प्रतिबंध परंपरा बन गई है. कुमार कहते हैं कि इस गांव में अधिकांश यादव जाति के लोग हैं.

गांव के लोग

ठाकुर मंदिर है प्याज नहीं खाने की वजह
हुलासपुर प्रखंड की चिरी पंचायत के त्रिलोकी बिगहा गांव के लोग प्याज और लहसुन न खाने का कारण गांव में ठाकुरबाड़ी (मंदिर) का होना बताते हैं. गांव की सरस्वती देवी कहती हैं कि उनके गांव में एक ठाकुर जी का मंदिर है, जिस कारण उनके पुरखों ने गांव में प्याज खाना प्रतिबंधित किया था, जो आज भी जारी है. गांव के लोग आज भी प्याज और लहसुन ना खाते हैं और ना ही गांव में बेचने के लिए लाते हैं.

खाना बनाती महिलाएं

प्रतिबंध तोड़ने पर घटी अशुभ घटना
वह दावे के साथ कहती हैं कि 40-45 साल पहले किसी ने इस प्रतिबंध को तोड़ने की कोशिश की थी, मगर उस परिवार के साथ कोई अशुभ घटना घट गई थी, उसके बाद लोग प्याज खाने की हिम्मत भी नहीं करते. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. 25 घर वाले इस गांव में अगर लोग प्याज और लहसुन मीट मछली खाते हैं तो कोई ना कोई अनहोनी उनके साथ हो जाती है. जिसके डर से गांव वाले प्याज लहसुन मीट मछली नहीं खाते.

ठाकुरबाड़ी मंदिर

गांव में मांस और मदिरा भी प्रतिबंधित
गांव की एक महिला ने बताया कि यहां के लोग जब सब्जी बनाते हैं, तो लहसुन प्याज छोड़कर गरम मसाला, जीरा और हिना मसालों का ही उपयोग करते हैं. इस गांव में प्याज और लहसुन ही नहीं, मांस और मदिरा भी प्रतिबंधित है. गांव में कई लोग तो ऐसे भी हैं, जिन्हें यह भी नहीं मालूम की प्याज की कीमत इतनी बढ़ गई है.

स्पेशल रिपोर्ट
Last Updated : Nov 30, 2019, 3:31 PM IST

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