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E-Cycle in Jehanabad: दिव्यांग की दूर दृष्टि का कमाल, कबाड़ से जुगाड़ कर बनाया E-Cycle, स्पीड अधिक प्रदूषण रहित - etv bharat news

जहानाबाद के रहने वाले एक जुनूनी दिव्यांग शख्स ने कबाड़ का इस्तेमाल कर इलेक्ट्रिक साइकिल बना डाली. ये साइकिल इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. तारीफ की बात तो ये है कि इस ई-साइकिल से कोई प्रदूषण भी नहीं होता है और इसकी रफ्तार आम साइकिल से काफी तेज है.

जहानाबाद के विश्वकांत निराला ने बनाई ई साइकिल
जहानाबाद के विश्वकांत निराला ने बनाई ई साइकिल

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Published : Jun 10, 2023, 10:12 AM IST

Updated : Jun 10, 2023, 10:20 AM IST

जहानाबाद के विश्वकांत निराला ने बनाई ई साइकिल

जहानाबादःअब तक तो आपने टायर में हवा भरकर चलने वाली साइकिल देखी है. जो आम गरीब भारतीयों से लेकर मिडिल क्लास फैमली के लिए एक सुविधाजनक सवारी है. लेकिन इसी दो पहिया साइकिल को जब कबाड़ी के समान से टेकनिक के जरिएइलेक्ट्रिक साइकिल बना दी जाए, तो आप इसे देखकर एक बार तो 'वाह' जरूर कहेंगे. हालांकि मार्केट में इलेक्ट्रिक साइकिलों की भरमार है, लेकिन सच्चाई ये भी है कि वो आम लोगों की पहुंच से अभी काफी दूर है. यही वजह है कि बिहार के जहानाबाद के रहने वाले एक विक्लांग शख्स ने अपने शौक और जरूरत को पूरा करने के लिए खुद से ही इलेक्ट्रिक साइकिल बना डाली.

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दिव्यांग ने बनाई प्रदूषण रहित ई-साइकिलः दरअसल बिहार के जहानाबाद के रहने वाले विश्वकांत निराला ने अपने जज्बे और जनून की बदौलत कबाड़ी के समानों से इलेक्ट्रिक साइकिल बनाई है, जो एक बार चार्ज होने के बाद 40 किलोमिटर का सफर तय कर सकती है. तारीफ की बात तो ये है कि इस साइकिल से कोई प्रदूषण भी नहीं होगा, यानी ये एक प्रदुषण रहित वाहन है. जिसकी कोशिश आज तमाम दुनिया के वाहन निर्माता भी कर रहें हैं. सरकार भी चाहती है कि प्रदुषण रहित वाहन का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा हो. यही वजह है कि विश्वकांत द्वारा बनाई गई इस साइकिल की प्रशंसा हर तरफ हो रही है.

ई साइकिल के साथ विकलांग विश्वकांत निराला

कबाड़ के समान से बना डाली ई-साइकिलःविश्वकांत निराला की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और वो दिव्यांग भी हैं. जहानाबाद के टाली बाजार में रहने वाले विश्वकांत बचपन में ही पोलियो का शिकार हो गए थे, लेकिन बड़े होकर उन्होंने हौसला कभी नहीं छोड़ा और इसी हौंसले की बदौलत उन्होंने इलेक्ट्रिक साइकिल तक बना डाली. विश्वकांत ने चार्जेबल साइकिल बनाने के लिए बैटरी, लैपटॉप के ई-वेस्ट और खराब गाड़ियों के पुर्जोंं का इस्तेमाल किया है. यह दो गियर वाली साइकिल है और इससे किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं होता है. विश्वकांत बताते हैं कि एक बार चार्ज करने पर यह साइकिल 40 किलोमीटर तक चलती है. इस साइकिल को बनाने में 45 दिन का समय लगा है और इसकी कुल लागत 20,000 हजार रुपये है.

"यूट्यूब पर देखा तो हमको भी लगा कि हमे भी ऐसा चाहिए. फिर किसी तरह 10 हजार रुपये थे मेरे पास धीरे-धीरे सामान इकट्ठा किए और बनाना शुरू किया. आज इसे देख कर टू व्हीलर और फोर व्हीलर वाले भी पूछते हैं कैसे बनाया लोग कहते हैं बहुच अच्छा है, मुझे भी काफी अच्छा लगता है. एक साल से चला रहे हैं, इसी से अपना इलेक्ट्रिशियन का काम करने बी गांव-गांव जाते हैं. अब ई-साइकिल चलाने में कोई परेशानी नहीं होती है."-विश्वकांत निराला, दिव्यांग व्यक्ति

जुगाड़ से बनाई गई ई साइकिल

यूट्यूब पर वीडियो देखकर बनाई ई-साइकिलःविश्वकांत निराला आगे बताते हैं कि उन्होंने आईटीआई में एडमिशन भी लिया था लेकिन साइकिल चलाकर कॉलेज जाने में परेशानी होती थी, विश्वकांत ने 4 साल पहले यूट्यूब पर एक वीडियो देखा था, जिसमें कबाड़ से ई-साइकिल बनाने का तरीका बताया गया था. उसी को देखकर विश्वकांत ने भी अपने दिमांग का इस्तेमाल कर अपने लिए इलेक्ट्रिक साइकिल बना डाली. जिससे वो गांव-गांव घूम कर इलेक्ट्रिशियन का काम करते हैं. शहर के लोग भी इनकी काफी तारीफ कर रहे हैं. जिले के डीएम रिची पांडेय ने भी कहा है कि होनहार विश्वकांत को सम्मानित किया जाएगा.

"मीडिया के माध्यम से पता चला है कि विश्वकांत नाम के व्यक्ति ने ई- साइकिल बनाई है, उनका ये इनोवेशन काफी अच्छा है, कबाड़ का इस्तेमाल अगर किसी अच्छे काम हो तो ये ज्यादा अच्छा है. हमलोग भी कचड़े और कबाड़ के निपटारे के लिए इस तरह के इनोवेशन पर जोर देंगे, ताकी शहरस्वच्छऔर सुंदर हो. ऐसे व्यक्ति को सम्मानत किया जाएगा और भविष्य में भी इस तरह के अविष्कार को बढ़ावा दिया जाएगा."- रिची पांडेय, डीएम, जहानाबाद

Last Updated : Jun 10, 2023, 10:20 AM IST

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