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दिल्ली से पैदल चलकर जमुई पहुंचे झारखंड के मजदूर, बोले- अभी घर है बहुत दूर

दिल्ली से वापस घर चले मजदूर पैदल ही हजारों किलोमीटर का सफर तय कर जमुई पहुंचे. अभी इनका सफर यहां खत्म नहीं हुआ है. ये सभी मजदूर झारखंड के हैं और आगे भी चलते ही जा रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार की ताजा खबर
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Published : May 15, 2020, 3:40 PM IST

Updated : May 15, 2020, 6:19 PM IST

जमुई : महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ट्रेन से कटकर 16 मजदूरों की मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया था. बावजूद इसके, रेलव प्रशासन लापरवाह बना हुआ है. रोजाना, हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर रेलवे ट्रैक के सहारे अपने घर को लौट रहे हैं. ऐसे ही बिहार के जमुई में 9 मजदूर दिल्ली से वापस लौटे हैं.

शुक्रवार को पटना हावड़ा रेल रूट के जमुई रेलवे स्टेशन के समीप रेल पटरियों पर चलते हुए झारखंड राज्य के जरमुंडीह के रहने वाले 9 प्रवासी मजदूर दिखाई दिए. सभी दिल्ली से 1 हजार 170 किमी पैदल चलकर 12 दिन में जमुई पहुंचे थे. इन मजदूरों ने जब प्लेटफार्म पहुंच जीआरपी से मदद मांगी. लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली. वहीं, पूछताछ केंद्र पर तैनात निर्मला देवी और रामवचन कुमार ने लाचार भूखे प्रवासियों को देखकर उन्हें अपने हिस्से का खाना खिला दिया और मिसाल पेश की.

जमुई से गौतम गुप्ता की रिपोर्ट

सभी प्रवासी मजदूर दिल्ली के फरीदाबाद 88 सेक्टर इलाके स्थित एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. झारखंड के जरमुंडी निवासी किरण कुमार, मन्नू कुमार, रोहित कुमार, प्रमोद कुमार, धनंजय कुमार, शालिग्राम कुमार, कुंदन कुमार सहित 9 लोग वहां मजदूरी करते थे. कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन में उनकी कंपनी बंद हो गई. दिल्ली में उन्हें खाने-पीने और रहने की सुविधा नहीं मिल पा रही थी. वहीं, वाहन की कोई व्यवस्था होते न देख सभी पैदल ही घर की ओर निकल लिये.

ईटीवी भारत को बोले- धन्यवाद
जमुई में विश्राम के बाद सभी मजदूर झारखंड के दुमका जिले से जरमुंडी के लिए निकल पड़े. वहीं, कई मजदूरों के पैर फूल चुके हैं. वह चल भी नहीं पा रहे थे. लेकिन अपने घर जाने की ललक, अपने परिजनों से मिलने की इच्छा मजदूर को मजबूरन चलाए जा रही है. इस दौरान भूखे प्रवासियों को ईटीवी भारत टीम खाने के लिए चूड़ा और मिक्चर की दिया.

इन सबके बीच अहम बात यह है कि रेलवे श्रमिक ट्रेन सहित मालगाड़ी का परिचालन कर रहा है. लेकिन ट्रैक के सहारे घर जा रहे प्रवासियों की न तो मदद की जा रही है और न उन्हें ट्रैक पर से चलने के लिए रोका जा रहा है. ऐसे में औरंगाबाद की घटना की पुनरावृत्ति होने का खतरा बना हुआ है.

Last Updated : May 15, 2020, 6:19 PM IST

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