जमुई: प्रदेश में बढ़ती आबादी को थामने के लिए सरकार एक ओर जहां तरह-तरह के नारे देकर नागरिकों को जागरूक करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी ओर सूबे का स्वास्थ्य महकमा सरकार के इस मंसूबे पर पानी फेरने का हर संभव प्रयास कर रही है. ताजा मामला जिले के गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के सेवा गांव का है. जहां, बंध्याकरण ऑपरेशन के 5 साल बाद एक महिला फिर से गर्भवती हो गई.
गिद्धौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 8 माह की गर्भवती है महिला
बताया जाता है कि प्रखंड क्षेत्र के सेवा गांव निवासी सतीश रावत की पत्नी ललिता देवी ने परिवार नियोजन के लिए विगत 5 साल पहले बंध्याकरण का ऑपरेशन कराया था.लेकिन ऑपरेशन के बाद भी ललिता गर्भवती हो गई. अब उनके गर्भ में 8 माह का बच्चा है. ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए पीड़ित महिला ने बताया कि मेरा पति मजदूरी करता है.हमें पहले से 4 बच्चे है. लेकिन विभाग के लापरवाही के कारण मुझे यह अनचाहा बोझ उठाना पड़ेगा.ऐसे में इस बच्चे का भरण-पोषण कैसे होगा.
ईटीवी भारत से बात करती पीड़ित महिला विभाग दे मुआवजा- समाजसेविका
इस संबंध में गांव के ही समाजसेवी महिला अनिता बताती है कि पीड़ित महिला के साथ काफी गलत हुआ है. उसका पति दूसरे प्रदेशों में रहकर मजदूरी कर अपने परिवार का पेट भरता है. वह पहले से ही 4 बच्चों की मां है.ऐसे में 5 वें बच्चे का जन्म का मतलब भोजन की 5 वीं थाली का व्यवस्था करना है.यह विभाग की बड़ी लापरवाही का नतीजा है.इसलिए विभाग संबंधित डॉक्टरों पर कठोर कार्रवाई करे और पीड़ित महिला को मुआवजा उपलब्ध कराए.
ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट विभाग ने झाड़ा अपना पल्ला
इस मामले की तह तक जाने के लिए जब ईटीवी की टीम ने गिद्धौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ.रामस्वरूप से मामले की जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि इस मामले में विभाग की ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई. इस मामले में 2 से 3 प्रतिशत फेल्योर की संभावना रहती है.इसको 'फेल्योर' ऑपरेशन कह सकते है. जहां तक मुआवजे की बात है, तो कागजी कार्रवाई पूरा करने के बाद पीड़ित महिला को सरकार के तरफ से तय मुआवजा राशी मिलेगी.
पीड़ित महिला को दिया जाएगा मुआवजा- सीएस
वहीं , मामले पर बोलते हुए जिले के सीएस डॉ. श्याम मोहन दास बताते है कि इसमें मेडिकल विभाग का कोई दोष नहीं है.पीड़ित महिला का आवेदन मिला है. सरकारी प्रावधान के तहत मुआवजा का राशी पीड़ित महिला को दी जाएगी. वहीं जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम सुधांशू बताते है कि बंध्याकरण ऑपरेशन फेल्योर के बाद फैमिली प्लानिंग ऑपरेशन स्कीम के तहत वर्तमान में 30 हजार की मुआवजा राशी दी जाती है. सरकारी कागजी कार्रवाई पूरा होने के बाद महिला को मुआवजे की राशी उसके बैंक खाते में भेज दिया जाएगा.
आर्थिक बोझ की भरपाई कैसे ?
गौरतलब है कि आबादी को थामने के लिए सरकार तरह- तरह के उपाय कर रही है. मुफ्त बंध्याकरण ऑपरेशन के साथ मरीज को आर्थिक सहयोग देना भी ऐसा ही एक उपाय है. लेकिन, इसे लेकर अस्पतालों में बरती जा रही लापरवाही से स्थानीय लोग अस्पताल प्रबंधन पर कई तरह के सवाल उठा रहे हैं.इस लापरवाही की जिम्मेदारी किसकी होगी और पीड़ित पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ की भरपाई कैसे होगी यह एक बड़ा सवाल है?
गिद्धौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ.रामस्वरूप