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नल-जल योजना को मुंह चिढ़ाता ये गांव, डबल इंजन की सरकार भी नहीं कर सकी पानी की व्यवस्था

यहां के लोगों को गर्मी के दिनों में 6 फीट गड्ढा खोदने के बाद पीने का पानी मिल पाता है. शौच से लेकर नहाना, कपड़ा धोना, पीना और खाना बनाना सब काम इसी पानी से होता है.

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Published : Apr 30, 2019, 3:14 PM IST

गड्ढा खोद कर पानी निकालती बच्ची

जमुईः पूरे जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है. पानी का लेयर नीचे जा रहा है, कुंआ सूख रहा है. चापाकल और बोरिंग फेल हो गए हैं. जमुई के 10 प्रखंड के कई गांवों में पीने के पानी के लिए कोहराम मचा हुआ है. यहां कई इलाके ऐसे हैं जहां आज भी ग्रामीण नदी नाले और कुएं का पानी पीने के लिए मजबूर हैं.

गड्ढा खोदकर निकालते हैं पानी
जिले के मलयपुर बस्ती के ग्रामीण आंजन नदी में कुआं और गढ्ढा खोदकर पानी भरते हैं. पीने के लिए सरकार की विकास योजनाओं को मुंह चिढ़ाता ये गांव ऐसा है जहां डबल इंजन की सरकार भी मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंचा सकी. जिला मुख्यालय से महज छ: सात किलोमीटर पर बसी मलयपुर बस्ती के लोग आज भी आंजन नदीं में गड्ढा खोदकर पानी निकालने के लिए मजबूर हैं.

गड्ढा खोद कर पानी निकालती महिलाएं

आंजन नदीं ही है पानी का जरिया
जब ईटीवी भारत के संवाददाता इस आंजन नदी पर पहुंचे तो बहुत सारी ग्रामीण महिलाएं बच्चियां और पुरूष नदीं में गड्ढा बनाकर पानी लेते दिखाई दिए. पूछने पर यहां मौजूद एक महिला ने बताया कि कोई 20 वर्ष, कोई 17 वर्ष पहले ब्याह कर इस मलयपुर बस्ती में आई थीं, तब से सालों भर " भरल भादो सुखल जैठ " आंजन नदीं से ही पानी ले जाती हैं.

6 फीट गड्ढा खोदकर मिलता है पानी
बरसात के दिनों में तो आसानी से पानी उपलब्ध हो जाता है. लेकिन गर्मी के समय में 6 फीट गड्ढा खोदना पड़ता है. तब कहीं जाकर पीने का पानी मिल पाता है. शौच से लेकर नहाना कपड़ा धोना खाना बनाना पीना सब काम इसी पानी से होता है.ग्रामीण महिलाओं ने बताया की एक गढ्ढा बनाने में दो धंटें से अधिक समय लगता है. कभी-कभी देर होने से बच्चियों की स्कूल की पढ़ाई भी छूट जाती है.

गड्ढा खोद कर पानी निकालती महिलाएं

अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला
ग्रामीणों ने बताया कि अपनी समस्याओं से हमने जन प्रतिनिधि, जिला प्रशासन और सरकारी महकमे को भी अवगत कराया. लेकिन आज तक आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. जमुई के कई लोग मुख्यमंत्री, मंत्री, एसपी, एमएलए भी हुए. लेकिन आजादी के बाद से अब तक यहां पीने का पानी नहीं मिल पाया. आज भी आंजन नदी के धाट से क्या मानव क्या मवेशी दोनों को पानी नसीब होता है.

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