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पवित्रता के साथ पढ़ी गई दूसरे जुम्मे की नमाज, इमाम ने कहा- गरीबों की मदद करना ही सच्ची इबादत

मस्जिद आए कई नमाजियों ने कहा कि इस पाक महीने में अल्लाह की इबादत करना और अपनी कमाई के हिसाब से गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता करना सही मायने में सच्ची इबादत है.

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Published : May 18, 2019, 11:29 AM IST

जमुई: रमजान-उल-मुबारक के दूसरे जुम्मे की नमाज जिले भर के सभी मस्जिदों में पढ़ी गई. इस दौरान सभी मस्जिदों में रोजेदारों और नमाजियों की भारी भीड़ देखी गई. भीड़ को देखते हुए मस्जिदों में विशेष इंतजाम किये गये थे. नमाज से पहले मस्जिदों के इमाम ने सभी को अल्लाह के पवित्र माह रमजान में जुम्मे की विशेषता की जानकारी विस्तारपूर्वक दी.

इस्लाम में रमजान सबसे पाक महीना होता है. माहे रमजान के दूसरे दिन शहर के तकरीबन सभी मस्जिदों में रोजेदारों की काफी भीड़ देखी गई. इस दौरान रोजेदारों से रमजान के पाक महीने की पवित्रता बनाए रखने की अपील की गई. मस्जिद के इमाम नइमुद्दीन कासमी ने कहा कि रमजान के महीने में जहां तक संभव हो गरीब और लाचार, बेबस लोगों की सेवा करनी चाहिए. इस पाक महीने में किसी भी इंसान को चोट ना पहुंचाएं ना ही कोई गलत काम करें.

जानकारी देते ईमाम

इस्लाम का सबसे पाक महीना है रमजान

मान्यता है कि रमजान माह में चारों ओर से रहमतों की बारिश होती है. रमजान के पाक महीने में गरीबों की मदद करना बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है. वहीं मस्जिद आए कई नमाजियों ने कहा कि इस पाक महीने में अल्लाह की इबादत करना और अपनी कमाई के हिसाब से गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता करना सही मायने में सच्ची इबादत है.

माहे रमजान में नमाजियों में खासा जोश-खरोश
अल्लाह की इबादत में लगे रोजेदारों का सहरी के साथ रोजे की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और शाम को अफतार के साथ ही रोजा खत्म होता है. रमजान के दौरान महीने भर तक अल्लाह की इबादत की जाती है और इस तरह इस महीने में क्या जवान क्या महिलाएं, यहां तक कि बूढ़े और बच्चे भी रोजे रखते हैं.

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