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जमुई का महुआ पत्ता इस समुदाय के लिए है रोजगार का जरिया, वाराणसी में है इसकी खूब मांग

इस हरे पत्ते में भगवान को भोग लगाने के साथ-साथ भोजन की थाली के रुप में उपयोग किया जाता है. इस रोजगार से करीब 250 परिवार जुड़े हैं. इस काम में परिवार के छोटे-छोटे बच्चे भी जंगलों से महुआ पत्ता इकट्ठा करते हैं.

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महुआ पत्ता

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Published : Jan 22, 2020, 7:14 PM IST

Updated : Jan 22, 2020, 7:43 PM IST

जमुई:जिला स्थित बरहट के जंगल से महुआ का पत्ता इकट्ठा कर बनारस में बेच कर गंगापुर का 250 परिवार अपना जीवन-यापन कर रहा है. रोहनिया थाना अन्तर्गत गंगापुर के लोगों का यह पुश्तैनी रोजगार है. ये लोग रोजाना 500 से 600 रुपये तक कमाई कर लेते हैं. इस रोजगार से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी तरह पेट भर रहे हैं.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में रोहनिया थाना अन्तर्गत गंगापुर निवासी राजेश ने बताया कि जंगल महुआ का पत्ता इकट्ठा कर कर बनारस में बेचते हैं. इसका उपयोग दोना बनाने से लेकर भगवान को प्रसाद चढ़ाने और भोजन की थाली के रुप किया जाता है. बरहट प्रखंड के सुदूर जंगलों स्थित महुआ के पत्ते का मांग बनारस में काफी ज्यादा है.

महुआ पत्ता

जंगल में डेरा डालकर इकट्ठा करते हैं पत्ता
जंगल से इकट्ठा किया जाने वाला महुआ का पत्ता काफी मुलायम होता है. यह बनारस में खासा लोकप्रिय है. इस हरे पत्ते में भगवान को भोग लगाने के साथ-साथ भोजन की थाली के रुप में उपयोग किया जाता है. इस रोजगार से जुड़े लोगों ने बताया कि वे महीने में पांच या फिर दो बार पत्ते को चुनते हैं. इस काम में महिला, पुरुष के साथ-साथ बच्चे भी शामिल रहते हैं. ये लोग जमुई रेलवे स्टेशन के आसपास तो कभी जंगलों में डेरा डाल कर महुआ का पत्ता इकट्ठा करते हैं. जमुई स्टेशन से ट्रेन के जरिये बनारस ले जाकर बेचते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

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महुआ की उपयोगिता
बता दें कि जमुई जिले के बरहट स्थित जंगलों में काफी मात्रा में महुआ का पेड़ है. महुआ का उपयोग दवाई बनाने से लेकर आयुर्वेदिक उपचार और शराब बनाने में किया जाता है. वहीं, इसके फल से निकलने वाला तेल काफी उपयोगी होता है. इस काम से जुड़े लोगों का कहना है कि इस काम में करीब 250 परिवार जुड़ा है. इन्हीं पत्तों को बनारस में बेच कर अपने परिवार का गुजारा करते हैं. इस काम से जुड़े अधिकतर लोग भूमिहीन हैं.

Last Updated : Jan 22, 2020, 7:43 PM IST

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