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छठ पर्वः भगवान भास्कर महोत्सव में पेंटिंग के जरिए दिखा पटना बाढ़ त्रासदी का नजारा - patna water logging

कला संस्कृति और युवा विभाग बिहार सरकार की ओर से छठ महापर्व के मौके पर भगवान भास्कर महोत्सव का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में राजधानी में बीते दिनों में आये बाढ़ के त्रासदी को पेंटिंग के माध्यम से दर्शाया गया.

Jamui

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Published : Nov 3, 2019, 3:24 AM IST

जमुई: कला संस्कृति और युवा विभाग बिहार सरकार की ओर से छठ महापर्व के मौके पर भगवान भास्कर महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव का उद्घाटन एसडीओ लखिन्द्र पासवान, एसडीपीओ रामपुकार सिंह सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया. इस कार्यक्रम में राजधानी में बीते दिनों में आये बाढ़ की त्रासदी को पेंटिंग के माध्यम से दर्शाया गया. वहीं, जिले में छठ व्रती ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया.

सरकार को मैसेज देने की कोशिश
पूजा समिति के आयोजक ने बताया कि पटना में बाढ़ में फंसे लोगों की परेशानी को पेंटिंग के माध्यम से दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण लाखों की क्षति हुई. जिसके कारण प्रदेश की विकास की गति पर असर पड़ेगा. उन्होंने बताया कि बाढ़ त्रासदी से सभी परेशान हैरान थे. पेंटिंग के जरिए सरकार को एक मैसेज देने की कोशिश की गई है. इसका मुख्य उदेश्य सरकार को जनता की समस्याओं से अवगत कराना है.

भगवान भास्कर महोत्सव का आयोजन

भक्तिमय हुआ माहौल
कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. वहीं, पूरा महौल भक्तिमय हो गया और दर्शक इस भक्तिमय कार्यक्रम का जमकर आंनद लेते रहे. बता दें कि पंडाल में पटना में बीते दिनों में आये बाढ़ के त्रासदी की पेंटिंग भी दर्शकों श्रद्धालुओं के कौतूहल का विषय बना रहा. लोग इस पेंटिंग के प्रति आकर्षित हुए. पूरे कार्यक्रम में यह पेंटिंग चर्चा का विषय बना रहा.

बाढ़ के त्रासदी को पेंटिंग के माध्य से दिखाया गया

36 घंटे का होता है निर्जल व्रत

बता दें कि चार दिवसीय छठ महापर्व नहाय खाय से शुरू होता और उस दिन श्रद्धालु नदियों और तलाबों में स्नान करने के बाद अरवा भोजन ग्रहण करते है. इस महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर खरना पूजा करते हैं. उसके बाद खरना में दूध और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसके बाद से उनका 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरू होता है. जिसका समापन उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है.

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