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जमुई: आस्था के केंद्र बाबा झुमराज मंदिर में गंदगी का अंबार, प्रशासन लापरवाह - problem

मंदिर परिसर में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. भारी तादाद में यहां महिला श्रद्धालु आती हैं. बावजूद यहां शौचालय, पीने योग्य पानी, साफ-सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं.

मंदिर परिसर में पसरी गंदगी

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Published : May 26, 2019, 6:17 PM IST

जमुई: जिले के सोनो प्रखंड स्थित पटिया बाबा झुमराज मंदिर दूर-दराज तक प्रसिद्ध है. सप्ताह में 3 दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को बाबा झुमराज की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही यहां बलि प्रथा की परंपरा भी सदियों पुरानी है. माना जाता है कि बाबा झुमराज सभी भक्तों की झोली में खुशियां भर देते हैं. लेकिन, आज यही बाबा झुमराज प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है.

जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं ली सुध
इस गांव को साल 2014 में सांसद चिराग पासवान ने गोद लिया था. इस आदर्श गांव में आज भी महिलाएं जंगल से पत्ते तोड़, पत्तल बनाकर बेचने को मजबूर हैं. सांसद तो दूर किसी स्थानीय नेता की नजर भी यहां फैली गंदगी पर आज तक नहीं पड़ी है. लिहाजा, मंदिर परिसर कचरा गृह बन चुका है.

गंदगी के बीच प्रसाद खाते लोग

सफाई बड़ी समस्या
झुमराज बाबा मंदिर परिसर में अगर किसी बात की बड़ी समस्या है तो वह मंदिर परिसर और उसके इर्द-गिर्द फैली गंदगी है. दरअसल, झुमराज बाबा मंदिर में हरेक सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. पूजा तांत्रिक पद्धति से की जाती है और पूजा के दौरान पाठा यानी बकरे की बलि दी जाती है. श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद यहां बलि देते हैं. फिर यहीं इसे बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. सालों से चली आ रही परंपरा के कारण यहां हजारों की तादाद में बलि पड़ती है. यहां बहने वाली नदी में थोड़ा पानी है, वह भी प्रदूषित हो चुका है.

बाबा झुमराज मंदिर पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता

बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव
इन तमाम समस्याओं के अलावा मंदिर परिसर में बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है. भारी तादाद में यहां महिला श्रद्धालु आती हैं. बावजूद इसके यहां शौचालय, पीने योग्य पानी, साफ-सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं. ऐसे में अधिक परेशानी महिला भक्तों को ही होती है.

मंदिर से सालाना लाखों की है आमदनी
बाबा झुमराज मंदिर बिहार धार्मिक न्यास परिषद से संबंधित है. ऐसे में मंदिर के लिए कई आमदनी के रास्ते हैं. साथ ही मंदिर परिसर में आने वाली गाड़ियों से प्रवेश शुल्क भी वसूला जाता है. जो मंदिर की रखरखाव जैसे कामों पर खर्च होना है. लेकिन जिस तरह से यहां अव्यवस्था है वैसे में यह सवाल भी उठता है कि मंदिर को आमदनी है तो फिर मंदिर के रखरखाव पर ना के बराबर खर्च क्यों किए जा रहे हैं?

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