जमुईःमुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुजफ्फरपुर दौरे के दौरान काला झंडा दिखाया गया था. साथ ही उनके गाड़ी पर स्याही भी फेंकी गई थी. इस घटना पर पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने बड़ा बयान दिया है. कभी सीएम के बेदह करीबी माने जाने वाले नरेंद्र सिंह इन दिनों तीखे तेवर दिखा रहे हैं. सीएम को काला झंडा दिखाये जाने पर उन्होंने कहा है कि उनकी भविष्यवाणी सही साबित हो रही है.
पूर्व मंत्री के मुताबिक बिहार की जनता आक्रोशित और दुखी है. प्रदेश में सुखाड़ के साथ-साथ बेरोजगारी के सवाल मुंह बाए खड़ी है. यहां कोई कल-कारखाना नहीं है, चीनी मिल भी बंद हो गई. क्राइम अपनी सीमा को पार कर चुका है. बिहार में अपराधों की श्रृंखला हिमालय की उंचाई से भी ज्यादा हो गई है. यही कारण है कि दुखी जनता सीएम के समक्ष विरोध-प्रदर्शन कर रही है. काले झंडे दिखाए जा रहे हैं. स्याही फेका जा रहा है. पूर्व मंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अपराधियों को संरक्षण दे रही है. वहीं, सरकारी तंत्र में भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार है.
मुजफ्फरपुर में सीएम नीतीश का विरोध करते लोग 'ट्रांसफर पोस्टिंग में लेन देन'
पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि ट्रांसफर पोस्टिंग में धड़ल्ले से लेन देन हो रहा है. अपराध नियंत्रण में विफल रहने वाले को अधिकारी थानेदारों को नियुक्त कर रहे हैं. प्रदेश में अपराधियों का मनोबल काफी बढ़ गया है. जबकि पुलिस को अपराधी से भागना पड़ रहा है. नरेंद्र सिंह ने के मुताबिक 2005 से लेकर 2011-12 तक अपराधी भाग रहे थे. वहीं, अब इसका उलटा हो रहा रहा है. बेलगाम अपराधी पुलिस पर हमला कर हथियार छीन रहे हैं.
चिराग पर बरसे नरेंद्र सिंह
वहीं, पूर्व मंत्री ने बरनार जलाशय योजना के अधर में लटकने पर जमुई सांसद चिराग पासवान को घेरा. उन्होंने बताया कि अभी तक काम पूरा नहीं हुआ है. लेकिन जमुई सांसद अपनी उपलब्धि गिनवाने की होड़ में लगे हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत करते पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह NOC नहीं मिलने से लटकी जलाशय योजना
पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि पूरा मामला 2014 से पहले का है. उनके मंत्री पद से हटने का बाद कुछ हुआ नहीं हुआ, सिर्फ बयानबाज हुई है. बरनार जलाशय योजना के लिए वन विभाग से 1200 एकड़ जमीन की जरूरत थी. बाद में जमुई में 1200 एकड़ जमीन उपलब्ध कराया गया. जिसमें 200 एकड़ पर प्रश्न चिन्ह लग गया. पूर्व मंत्री के मुताबिक किसी अधिकारी के अड़ंगा लगाने से वन एवं पर्यावरण विभाग से स्वीकृति नहीं मिली, कहा गया कि यह जमीन वन योग्य है. इसकी जांच हो रही है. अगर जमीन योग्य नहीं है तो प्रशासन से जमीन उपलब्ध करा कर NOC दिलाने का काम करेंगे.