जमुई: बिहार की कई सरकारों में मंत्री रह चुके नरेन्द्र सिंह (Narendra Singh) ने कहा कि वे अब चुनाव में तो भाग नहीं लेंगे लेकिन जनता की आवाज उठाते रहेंगे. गुरूवार को स्थानीय परिषदन में उन्होने कहा कि आज किसान बेहाल हैं. किसानों को उनकी फसलों (Crop) का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. जिले में गेहूं खरीद का लक्ष्य 4700 मैट्रिक टन था लेकिन मात्र 27 मैट्रिक टन की खरीद हुई है.
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'सरकार की गेंहू की खरीद नीति गलत है. पैक्स के पास जब किसान गेहूं बेचने जाता है तो वे मोल-भाव किया जाता है. मोल भाव करते-करते 1400 से 1500 पर दर फिक्स होता है. जबकि गेंहू का समर्थन मूल्य 1975 है. इस तरह किसानों को नुकसान होता है.': नरेंद्र सिंह, पूर्व कृषि मंत्री
'जब मैं कृषि मंत्री था तो तीन माध्यमों-एफसीआई, एसएफसी व सहकारिता से खरीद करवाता था. ऐसे में किसानों को बेहतर मूल्य मिलता था. फसल की खरीद के समय अपना, निदेशक, कमिश्नर का फोन नम्बर विज्ञापित करवाता था कि कहीं कोई परेशानी हो तो हमें काल करें. मैं सीधा डीएम को फोन करता था कि वहां गड़बड़ी हो रही है, मजिस्ट्रेट को भेजिए.' : नरेंद्र सिंह, पूर्व कृषि मंत्री
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पूर्व कृषि मंत्री ने ये भी कहा कि गोदाम का मैनेजर निचले स्तर का कर्मचारी होता है. वह डर जाता था ओर सही मूल्य देता था. लेकिन आज वो व्यवस्था खत्म हो चुकी है. किसान बेहाल है. मैं इसके लिए सत्ता पक्ष नहीं विपक्ष को जिम्मेदार मानता हूं क्योंकि वह पंगु हो चुका है. वह केवल सत्ता पक्ष को गाली देकर सत्ता में आना चाहता है. जनता के सरोकारों से उसे कोई मतलब ही नहीं है. वह केवल सत्ता की राजनीति कर रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि विपक्ष इससे ऊपर उठे और जनता के मुद्दों को उठाए. ताकि कानून-व्यवस्था में सुधार हो, हत्या लूट बंद हो, जनता को राहत महसूस हो.
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नरेंद्र सिंह ने कहा कि हम इसके लिए आज भी किसानों को गोलबंद कर सकते हैं. 5-10 हजार की भीड़ इक्ट्ठा कर देना मेरे लिए बड़ी बात नहीं है लेकिन हमारे हाथ-पांव कोरोना के कारण बंधे हैं. जैसे ही इसका प्रकोप कम होगा, अगस्त के अंतिम सप्ताह में मैं जमुई में किसानों की एक विशाल रैली का आयोजन करूंगा जिसमें किसानों के एकमात्र नेता राकेश टिकैत को भी बुलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारी पहल पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने किसानों का समन्वयक बनना स्वीकार किया है. हम किसानों के हित में टिकैत व सिन्हा को लेकर पूरे बिहार में एक आंदोलन करेंगे.
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