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विकास से कोसों दूर है जमुई का यह गांव, दशकों से बुनियादी सुविधाओं की बाट जोह रहे ग्रामीण

जमुई गिद्धौर प्रखंड के कोल्हुआ पंचायत में आज भी बदहाली पसरी है. चारों ओर दूर-दूर तक विकास का कोई काम होता नहीं दिखाई पड़ता है. यहां रह रहे लोगों को आए दिन काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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Published : Jul 28, 2020, 8:37 PM IST

jamui
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जमुई(गिद्धौर):आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी जमुई के गिद्धौर प्रखंड के कोल्हुआ पंचायत के भोला नगर में रह रहे लोगों को बुनियादी सुविधाएं नसीब नहीं है. यहां रह रहे महादलित लोगों की स्थिति सालों से जस की तस बनी हुई है. इलाके में पक्की सड़क तक नहीं है. जिस कारण लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है.

भोला नगर के लोगों को सिर छुपाने के लिए पक्की छत तक नसीब नहीं है. शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य सुविधा, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी यहां के लोग अछूते हैं. जबकि पिछले 10 वर्षों से नीतीश सरकार इस राज्य में विकास की गंगा बहाने का दावा कर रही है. इसके बावजूद भी यह महादलित गांव विकास से कोसों दूर है.

विकास से कोसों दूर है कोल्हुआ पंचायत

चुनाव के समय नेताओं को आती है इनकी याद
यहां रह रहे लोगों की मानें तो जब भी चुनाव आने वाला होता है तो कई दलों के जनप्रतिनिधि महादलित टोले में आकर इनसे विकास के वादे करते हैं. नेता आते हैं और लोकलुभावन सुविधाओं का झांसा देकर वोट ले जाते हैं. लेकिन चुनाव के बाद इनकी बदतर स्थिति में सुधार को लेकर कोई सुधि नहीं ली जाती है.

जर्जर हाल में सड़क

बारिश में दोगुनी हो जाती है मुसीबत
भोला नगर महादलित टोले के लोगों की आवागमन की सुविधा सुगम बनाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से कई बार सड़कों का निर्माण कराया गया. लेकिन सड़क निर्माण के नाम पर हुए गड़बड़झाले के कारण आज तक ये परेशानी झेल रहे हैं. बरसात के दिनों में सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती हैं और यातायात ठप पड़ जाता है.

लोगों ने बताई आपबीती

लोगों ने सुनाई आपबीती
अपनी मूलभूत समस्याओं को लेकर नगर महादलित टोला निवासी मनोज मांझी, कविता मांझी, पुनम मांझी सहित दर्जनों महादलित ग्रामीण बताते हैं कि कई बार महादलित टोले में स्थानीय पदाधिकारी का आना-जाना हो चुका है. लेकिन उन लोगों को मुख्यालय से जोड़ने वाली टोले में बने इस मुख्य सड़क की मरम्मत और सुधार कार्य को लेकर किसी ने कोई ठोस पहल नहीं की है. कई बार शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. नतीजतन वे नारकीय हाल में जीने को मजबूर है.

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