जमुई: बिहार में इस साल दिवाली को लेकर लोगों में अलग ही उत्साह देखने को मिला. वहीं, राज्य के एक जिले में दिवाली के एक दिन बाद इसे मनाया गया. हम बात कर रहे हैं जमुई जिले की. जमुई सूबे का पहला जिला है जहां सदियों से दीपावली के एक दिन बाद तांत्रिक विधि के साथ इस पर्व को मनाया जा रहा है. ऐसे में सोमवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला.
सिकंदरा प्रखंड अंतर्गत लछुआड़ गांव और बरहट प्रखंड का गुगुलडीह गांव एक ऐसा गांव है जहां दीपावली तय तिथि से एक दिन बाद मनाई जाती है. इस वर्ष पूरे देश में दीपावली 12 नवंबर को मनाई गई. लेकिन बरहट के गुगुलडीह व लछुआड़ गांव में दीपावली 13 नवंबर को ही मनाई गई. गांव के जानकार बताते हैं कि यहां की पूजा विधियां विलक्षण है. प्रतिमा के निर्माण से लेकर पूजन विधि महानिशा पूजन और महानिशावली सब अद्भुत और तांत्रिक अनुष्ठानों द्वारा संपन्न होती है.
300 वर्ष पहले जमींदारों ने प्रथा को किया था लागू: बताया जाता है कि गांव में 300 वर्ष पहले के जमींदारी प्रथा से क्षेत्र में धमना के कुमार वैद्यनाथ सिंह जमींदार हुआ करते थे. उन्हीं के द्वारा स्थापित मां काली की मंदिर में तांत्रिक पद्धति से पूजा पाठ शुरू हुआ था. तब से यहां के लोगों ने इसे परंपरा को मानते है. काली पूजा में वर्षों से पूजा अर्चना कर रहे गांव के प्रतिष्ठित पंडित हरिवंश पांडेय ने बताया कि गांव में एक दिन बाद दिवाली मनाने का मुख्य कारण है कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार चतुर्दशी के अंत और अमावस्या की शुरुआत के दिन मां काली का प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. वहीं, मां काली के समक्ष दीप जलने के बाद दूसरे दिन लछुआड़ गांव में दीपावली मनाई गई.