जमुई:बिहार के जमुई की वायरल गर्ल दिव्यांग सीमा (10 वर्ष) को आधुनिक कृत्रिम पैर (Seema got prosthetic leg) मिल गया है. इस बच्ची को यह आधुनिक पैर एलिम्को नामक संस्था ने लगाया है. जमुई की बिटिया चलने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह संस्था इस बिटिया को चलने का प्रशिक्षण मुफ्त में दे रहा है. वहीं सीमा के गरीब माता-पिता ने इस मदद के लिए जमुई डीएम का आभार जताया है.
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सीमा को लगा कृत्रिम पैर: बता दें, बिटिया सीमा का विडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. उसके बाद तमाम नेता, मंत्री इससे मिलने भी गये थे. इन सब के बाद जिला पदाधिकारी ने इस दिव्यांग बच्ची को कृत्रिम पैर लगाने का फैसला किया. जिसके बाद उन्होंने कानपुर के एलिम्को नामक संस्था को आधुनिक कृत्रिम पांव लगाने के लिए माप लेकर जल्द से जल्द बनाने को कहा. इस निर्देश को पालन करते हुए संस्था जमुई पहुंचकर इस दिव्यांग बच्ची के पैर का माप लिया, उसके बाद ट्रायल के लिए कुछ ही दिनों में कृत्रिम पैर लगाकर जांच किया. उसके बाद संस्था ने जमुई की इस बिटिया को कृत्रिम पैर लगाकर चलने का प्रशिक्षण दे रही है. वहीं एलिम्को ने इस दिव्यांग बच्ची को मुफ्त में प्रशिक्षण देने का फैसला किया है.
खैरा निवासी है सीमा:दरअसल यह दिव्यांग बच्ची सीमा पिता (खिरन मांझी) खैरा प्रखंड अंतर्गत फतेहपुर गांव निवासी है. वहीं अपनी बेटी को कृत्रिम पैर से चलते हुए देखने के बाद उसकी मां बेबी देवी के चेहरे पर मुस्कान है. बच्ची के कृत्रिम पैर लगवाने के बाद डीएम अवनीश कुमार सिंह (DM Avnish Kumar Singh) ने बताया कि सीमा को आधुनिक कृत्रिम पैर लगने के साथ ही चलने फिरने का प्रशिक्षण मुफ्त में दिया जा रहा है. बच्ची के साथ ही उसके माता-पिता को रहने के साथ ही कानपुर से घर वापस जाने में किसी प्रकार का खर्च नहीं लग रहा है,सारी सुविधायें मुफ्त में मुहैया कराई गयी है. इस बच्ची के लिए जिला प्रशासन हर तरह के मदद को तैयार है.
उधर सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक सूरज कुमार ने दिव्यांग बिटिया सीमा के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि वह जमुई लौट कर अपने आधुनिक कृत्रिम पैरों के सहारे चलकर नया इतिहास रचेगी. उन्होंने उसे जिला प्रशासन के सौजन्य से हर संभव सुविधा मुहैया कराए जाने की बात कही.
दो साल पहले हुई थी हादसे का शिकारः परिवार वालों ने बताया कि सीमा लगभग दो साल पहले एक हादसे का शिकार हो गई थी. एक ट्रैक्टर की चपेट में आकर वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी. सीमा की जान बचाने के लिए डॉक्टर को एक पैर काटना पड़ा था. लेकिन सीमा हिम्मत नहीं हारी. ठीक होने के बाद ये बच्ची फिर से अपना सारा काम करने लगी. यहां तक कि सीमा एक पैर पर घंटों तक खड़ी रहती है. ''बच्ची हमारे स्कूल के कक्षा चार में पढ़ती है. जब हमने इसे स्कूल आते देखा तो मन में आया कि इस बच्ची के लिए कुछ करना चाहिए. इसलिऐ हमनें इसके स्कूल आते-जाते एक छोटा सा वीडियो क्लिप बनाकर ट्विटर पर डाल दिया. फिर मीडिया के माध्यम से खबर लोगों तक पहुंच गई.''- गौतम गुप्ता, सीमा के स्कूल के टीचर
सपने को पूरा करने में जुटी बच्चीः जमुई की रहने वाली ये दिव्यांग बच्ची फतेहपुर गांव के सरकारी स्कूल में चौथी क्लास की छात्रा है. सीमा के शिक्षक कहते हैं कि यह बुलंद हौसले वाली बच्ची है. एक पैर नहीं होने के बावजूद पगडंडियों पर चलकर खुद स्कूल पहुंच जाती है. बिना किसी पर बोझ बने अपनी शिक्षा पूरी करना चाहती है. महादलित समुदाय से आने वाली दिव्यांग छात्रा सीमा का सपना पढ़-लिखकर टीचर बनने का है, वो बड़े होकर बच्चों को पढ़ाना चाहती है. तमाम परेशानियों के बावजूद वो स्कूल जाती है और अपने सपने को पूरा करने में जुटी है. सीमा पांच भाई-बहन हैं