जमुई: दशरथ मांझी एक ऐसा नाम जो इंसानी जज्बे और जुनून की मिसाल है. वो दीवानगी, जो प्रेम की खातिर जिद में बदली और तब तक चैन से नहीं बैठे, जब तक कि पहाड़ का सीना चीर कर सड़क नहीं बना दिया.
जिले के शगुन वाटिका हॉल में महिला अधिकार मोर्चा ने पर्वत पुरूष दशरथ मांझी की पुण्यतिथि मनाई. महिला अधिकार मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनामिका पासवान ने कहा कि राष्ट्रपति से मांग करूंगी की उनको भारत रत्न दिया जाए और उनके नाम पर प्रेम दिवस भी मनाया जाए.
माउंटन मैन दशरथ मांझी को नमन कौन थे दशरथ मांझी
दशरथ मांझी का जन्म 14 जनवरी 1929 में हुआ था. जिन्हें “माउंटेन मैन” के नाम से भी जाना जाता है. गया के गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे. केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर उन्होंने 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काट कर सड़क बना दी थी. 22 वर्ष परिश्रम के बाद दशरथ के बनायी सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लाक की दूरी को 55 किमी से 15 किलोमीटर कर दिया.
माउंटन मैन दशरथ मांझी को नमन 'लोगों को सीख लेने की जरुरत'
मौके पर पूर्व राज्य सभा सांसद ब्रम्हदेव आनंद पासवान ने कहा कि ऐसे व्यक्तित्व से लोगों को सीख लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि दशरथ मांझी जैसे व्यक्ति जिनमें जज्बा था, जुनून था ऐसी हस्ती दुनिया में कभी-कभी जन्म लेते हैं.