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जमुई: बेटियों को कैसे मिलेगा न्याय, जब लंबे समय से खाली पड़ी रहेगी फैमिली कोर्ट की कुर्सी - बेटियों को न्याय

6 जून 2021 से जमुई में परिवार न्यायालय (Jamui Family Court) के प्रधान न्यायाधीश का पद खाली (Chief Justice Post Vacant) पड़ा है. महीनों बीत गए सैकड़ों की संख्या में आधी आबादी यानी जमुई की लाखों महिलाओं से संबंधित मामले वाला यह कोर्ट रिक्त है. जिससे महिलाओं से संबंधित मुकदमों और उनके अधिकारों को लेकर लंबित मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही. पढ़ें पूरी खबर..

Jamui Family Court
Chief Justice Post Vacant

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Published : Feb 22, 2022, 10:07 AM IST

जमुई: सरकार महिलाओं में विशेषकर बेटियों को न्याय दिलाने के लिए गंभीर है. इसके नारे भी राह चलते दीवारों पर लिखे दिखाई पड़ जाते हैं. लेकिन न्यायालय में ही महिलाओं के लिए बनी स्पेशल अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी (Special Sub-Divisional Judicial Magistrate) और परिवार न्यायालय के न्यायिक पदाधिकारी (Family Court Judicial Officer) की कुर्सी अगर लंबे समय तक खाली रहती है तो बेटियों को इंसाफ कैसे मिलेगा. यह बानगी सिर्फ जमुई जिले की ही नहीं, बल्कि बिहार के कई जिलों की है, जहां लंबे समय से महिलाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई रुकी पड़ी है या बाधित रही है.

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किसी भी जिला जजशिप में एक परिवार न्यायालय होता है. जहां जिला जज स्तर के प्रधान न्यायाधीश ही महिलाओं से संबंधित मामले, जिनमें भरण पोषण, तलाक, विवाह विच्छेद अथवा परिवार के मेल के लिए अथवा टूटे रिश्ते को जोड़ने के लिए मुकदमे लाए जाते हैं और इसकी सुनवाई होती है. 6 जून 2021 से जमुई में परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का पद खाली पड़ा है.

महीनों बीत गए सैकड़ों की संख्या में आधी आबादी यानी जमुई की लाखों महिलाओं से संबंधित मामले वाला यह कोर्ट रिक्त है. जिससे महिलाओं से संबंधित मुकदमों और उनके अधिकारों को लेकर लंबित मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही. यह सिर्फ जमुई जिले का हाल नहीं है, बल्कि बिहार के 38 जिलों में से अधिकांश परिवार न्यायालय का कोर्ट खाली पड़ा है. हालांकि, अब चर्चा है कि जल्द ही इन न्यायालयों में प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति होने वाली है. जिससे एक एक पैसे और न्याय के लिए मोहताज महिलाओं में उम्मीद और खुशी दौड़ गई है.

महिलाओं के दहेज प्रताड़ना से संबंधित मामलों के लिए अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी एसडीजेएम के कोर्ट की भी हर जिले में व्यवस्था है. जहां महिलाओं से संबंधित अपराध की सुनवाई होती है. जमुई में एसडीजेएम का कोर्ट 17 दिसंबर 2019 से ही खाली पड़ा था और प्रभार में दूसरे कोर्ट द्वारा सिर्फ जरूरी कामों को निपटाने के कारण यहां भी 2 वर्षों से महिलाओं से संबंधित मुकदमों की भीड़ जमा है. जहां मुकदमों में जरूरी सुनवाई के अलावा कम ही काम हो पाया.

हालांकि, जमुई में एसडीजेएम के कोर्ट में 3 जनवरी 2022 को नए न्यायिक पदाधिकारी की नियुक्ति कर दी गई है और उम्मीद है कि अब महिलाओं से संबंधित मामलों के लिए इस विशेष न्यायालय में काम तेजी से आगे बढ़ेगा. परंतु वर्षों से लंबित पड़े मामलों की भीड़ को संभालना एक चुनौती से कम नहीं है.

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