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फिर चुनावी मुद्दा बनेगी बरनार जलाशय योजना ? 46 सालों से पूछ रही सवाल - Election issue

जमुई में बरनार जलाशय योजना सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गई है. यह योजना पिछले पांच दशकों से लंबित पड़ी है. पहाड़ी के बीच अगर ये योजना पूरी हो जाती, तो किसानों के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से जमुई का विकास निश्चित ही तय था.

बरनार जलाशय योजना
बरनार जलाशय योजना

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Published : Jun 13, 2020, 5:05 PM IST

Updated : Jun 13, 2020, 7:59 PM IST

जमुई: बरनार जलाशय योजना यह एक ऐसा चुनावी मुद्दा है, जो 46 सालों में पूरा न हो पाया है. चुनाव आते ही नेताओं के जुबान पर इस योजना को पूरा करने को लेकर वादे और दावे दोनों रहते हैं. लेकिन हालात आज भी जैसे के तैसे हैं. इस मुद्दे के सहारे कई सांसद और विधायक दिल्ली और पटना तक का सफर तय कर चुके हैं.

जमुई मुख्यालय से महज 49 किलोमीटर की दूरी पर सोनो प्रखंड के बटिया में बरनार जलाशय योजना की नींव तात्कालिक मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र और सांसद सह केंद्रीय मंत्री देवनंदन प्रसाद यादव ने रखी थी. इसके बाद यह योजना सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गई, जो नेताओं के लिए संजीवनी की तरह काम कर रही है. योजना को पांच दशक बीत चुके हैं.

जमुई से गौतम गुप्ता की रिपोर्ट

कब पूरी होगी ये योजना?
नींव रखे जाने के बाद तत्कालीन सिंचाई मंत्री दीप नारायण सिंह की इस योजना के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका रही. उस समय बांध का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चला. बिहार की इस महत्वकांक्षी योजना अप्रैल 1990 में तब औंधे मुंह गिर पड़ी. जब लालू प्रसाद यादव बिहार की कमान संभाली. जलाशय का निर्माण कार्य रोक दिया गया. बाद में सांसद भूदेव चौधरी, विधायक फाल्गुनी प्रसाद यादव, विधायक सुमित कुमार सिंह, सांसद चिराग पासवान आदि सरीखे नेताओं ने बरनार के मुद्दे को उठाया. उन्होंने इसके निर्माण की बात सदन के पटल पर रखी.

बरनार के लिए जिला प्रशासन ने पत्रांक 526 दिनांक 22/05/13 द्वारा 1 हजार 135.96 एकड़ जमीन उपलब्ध करा दी. वन विभाग द्वारा अधिग्रहण होने वाले वनभूमि के विरुद्ध मांगी गई राशि भी उपलब्ध करवा दी गई. लेकिन वन एवं पर्यावरण विभाग के एक पत्र की वजह से इस बांध का निर्माण कार्य फिर से नहीं शुरू हो सका.

यहां रखी गई योजना की नींव

किसानों को होता फायदा
वहीं, स्थानीय किसानों का कहना है कि वन एवं पर्यावरण विभाग को चुकता भुगतान कर दिए जाने के बावजूद भी विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रत्याशा में जलाशय निर्माण कार्य का आशा रूपी दीपक जलता बुझता रहता है. यह सरकार की सुलझी नीति का अनसुलझा पहलू बनकर रह गयी है. किसानों का कहना है कि यदि इस जलाशय योजना का निर्माण करा लिया जाता, तो जमुई के सैकड़ों गांवों को काफी फायदा होता और अच्छी फसल होती.

  • क्षेत्र में सिंचाई, बिजली आदि की समस्या दूर होगी.
  • पलायन कर रहे किसान अपने गांव में रुकेंगे.
  • पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

बहरहाल, यह चुनावी साल है और एक बार फिर मुद्दों की बाढ़ आने को तैयार है. किसान बेबस हैं और सिर्फ बारिश के सहारे अपनी फसलों की सिंचाई कर रहे हैं. ऐसे में बरनार जलाशय योजना पूरी होने की ये सिर्फ और सिर्फ राह देख रहे हैं.

Last Updated : Jun 13, 2020, 7:59 PM IST

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