गोपालगंज: बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार करोड़ों रूपये खर्च करती है. बावजूद मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नसीब नहीं होती है. जिसका एक उदाहरण आईएसओ से प्रमाणित सदर अस्पताल के आईसीयू वार्ड में देखने को मिलता है.
करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद मरीजों को आईसीयू की सुविधा नसीब नहीं होती है. इस कारण गंभीर रोग से ग्रसित मरीजों को गोरखपुर, पटना या फिर लखनऊ रेफर कर दिया जाता है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है. इन सब के बावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर नहीं हो पा रही है.
2013 में हुआ था उद्घाटन
दरअसल, साल 2013 में तत्कालीन डीएम कृष्ण मोहन की ओर से अस्पताल में आईसीयू वार्ड का उद्घाटन हुआ था. आईसीयू बनने के बाद कुछ महीनों तक चालू रहा. लेकिन बाद में स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण बंद हो गया. वहीं, आईसीयू चालू करने के लिए कॉर्डियोलॉजी, सर्जन समेत अन्य विशेषक डॉक्टर की जरूरत होती है. जो 24 घण्टे भर्ती मरीजों की देख भाल और समय पर इलाज के लिए रखा जाता है. लेकिन आलम ये है कि यहां विभाग के पास न तो विशेषज्ञ डॉक्ट है और न ही टेक्नीशियन है.