गोपालगंज: अपना आशियाना तोड़ने का दर्द गोपालगंज (Gopalganj) के निमुईया गांव के लोग ही बता सकते हैं. मांझी प्रखंड (Manjhi Block) के लोगों को गंडक नदी (Gandak River) से हो रही तबाही का डर सता रहा है. डर के मारे वे अपने घरों के एक-एक ईंट को निकाल रहे हैं. यह कोई एक घर का बात नहीं है. ऐसा दर्द सैंकड़ों लोगों ने चंद दिनों में ही झेल लिया है. जिस तरह से एक-एक ईंट जोड़ कर घर बनाया था, वैसे ही एक-एक ईंट को निकाल रहे हैं. ताकि किसी दूसरे जगह आशियाना बसा सकें.
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घरों को तबाह होता, पानी में डूबने देखने से अच्छा है कि लोग उसे तोड़ कर उन ईंटों का इस्तेमाल दूसरे घर बनाने में कर लें. इस कारण लोग पलायन तो कर रहे हैं, लेकिन घर के ईंट को ले जा रहे हैं. बता दें कि हर साल इस तरह की बाढ़ आती है. फिलहाल उत्तर बिहार में लाखों की आबादी बाढ़ का कहर झेल रही है.
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि हर साल बाढ़ की विभीषिका का हम लोग शिकार होते हैं. हर साल हमारे खेतों में लगे फसल बर्बाद होते हैं. काफी मेहनत और खर्च कर अपना मकान बनाते हैं, लेकिन बाढ़ सब बर्बाद कर देता है. बाढ़ एक बार फिर दस्तक देगी और हमारा मकान टूटेगा. गंडक इस बार रौद्र रूप में है. लगातार कटाव हो रहा है. मकान के निर्माण में लगे ईंट, सरिया समेत कई निर्माण सामग्री बर्बाद हो जाएगी. इससे अच्छा है कि क्यों न अपने से ही मकान को तोड़ दें. जिससे कि इनमें से निकली सामग्री काम आ जाएगी.
'60 साल पूर्व जब ये घर बना था, तब मैं जवान था. इस घर को बनाने में मैने भी सहयोग किया था. लेकिन कभी यह सोचा नहीं था कि जिस घर को अपने हाथों से बनाऊंगा, उसी घर को अपनी आंखों के सामने टूटता हुआ देखूंगा. अपने हाथों से ही अपने आशियाने को उजाड़ दूंगा. यह मेरे लिए दुख की घड़ी है.'-विजय पासवान, बाढ़ पीड़ित
'मेरी जब शादी हुई थी, तब पहली बार मैं इस घर में कदम रखी थी. तब यह घर काफी सुंदर था. मैने कभी नहीं सोचा था कि यह घर मेरे आंखों के सामने टूटेगा. यह घर नहीं मेरा कलेजा टूट रहा है. कौन चाहता है कि अपना बना बनाया मकान तोड़ कर पलायन करे. लेकिन मजबूरी में अपना ही घर तोड़ना पड़ रहा है. सरकार बाढ़ के रोकथाम के लिए कोई स्थाई निदान नहीं निकाल रही है.'-देवकुमारी देवी, विजय पासवान की पत्नी
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बाढ़ पीड़ितों के मुताबिक पिछले माह वाल्मीकि नगर बराज से छोड़े गए 4 लाख 12 हजार क्यूसेक पानी और लगातार हुई भारी बारिश से गंडक नदी उफान पर थी. जिसकी वजह से जिले के 6 पंचायत के 21 गांव बाढ़ की चपेट में आए थे. कई घर बाढ़ के पानी में समा गए.