गोपालगंज: चीन मिलें इन दिनों गन्ने की कमी (नो केन) के संकट का सामना कर रही है. बीते साल आई विनाशकारी बाढ़ और अतिवृष्टि की वजह से गन्ने की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गए थे. जिसका असर अब चीनी मिलों पर पड़ रहा है. मौजूदा वक्त में स्थिति यह है कि चीनी मिलों में गन्ने की कमी हो गई है. जिसकी वजह से आए दिन कई घंटों तक मिल को बंद रखना पड़ रहा है. वहीं, गन्ना किसानों के सामने भी कर्ज चुकाने और पेट पालने की समस्या उतपन्न हो गई है.
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मिलों को बंद करने की चल रही है तैयारी
दरअसल, गोपालगंज जिला गन्नाचंल के नाम से जाना जाता है. यहां के किसानों की आय का सोर्स गन्ना उत्पादन है. लेकिन बीते साल अगस्त महीने में आई विनाशकारी बाढ़ और अतिवृष्टि ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. जिले के किसानों ने कर्ज लेकर या फिर बटईया पर खेत लेकर काफी मेहनत से गन्ने की फसल लगाई थी. लेकिन बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण फसल पूरी तरह बर्बाद हो गए. इसका असर चीनी मिल पर भी पड़ा है. गन्ने की कमी की वजह से जिले की भारत और विष्णु शुगर मिल को तो बंद करने की तक की तैयारी भी चल रही है.
चीनी मिल को 12 करोड़ का नुकसान
इस संबंध में सिधवलिया स्थित भारत चीनी मिल के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट आशीष खन्ना नें बताया कि इस बार 62 लाख गन्ना पेराई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण 50 लाख लक्ष्य रखा गया. बावजूद इसके गन्ना नहीं मिल पाया है. उन्होंने बताया कि जहां से 4 ट्रॉली गन्ना मिलने की आशा थी, वहां से महज 2 ट्रॉली गन्ना ही मिल रहा है. उन्होंने बताया कि बाढ़ और बारिश से किसानों को तो नुकसान हुआ ही है साथ ही मिल को भी आर्थिक क्षति हुई है. मिल को करीब 12 करोड़ की क्षति का अनुमान है.
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प्रतिदिन 7 से 8 घंटे बंद करनी पड़ रही है मिल
वहीं, विष्णु चीनी मिल के प्रबंधक पीएस पणिकर ने बताया कि 60 लाख गन्ने की उपलब्धता थी, लेकिन अभी तक केवल 20 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की गई है. उन्होंने बताया कि गन्ना नहीं रहने के कारण 7 से 8 घंटे तक मिल को बंद करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि मिल को चालू करने के लिए प्रतिदिन 50 हजार क्विंटल गन्ने की आवश्यकता होती है. लेकिन अभी तक एक साथ इतना गन्ना नहीं मिल पाया है. जिसके कारण मिल को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.