गोपालगंज:सरकारी नौकरी की कोशिश में काफी मेहनत किया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. इसके साथ ही कई जगहों पर परीक्षा पास होने के लिएघूस देने की जरूरत पड़ी. उन्होंने बताया कि तंगहाली के कारण घूस के लिए पैसे नहीं दे पाया. जिसके बाद सरकारी नौकरी की आस टूट गई. इन सारी घटनाओं के बाद हिम्मत नहीं हारने वाला युवक गोपालगंज के लिए मिसालबन चुका है. इस युवक के पास आसपास के कई लोग भी कुछ सीखने जानने के लिए आते हैं. आलम यह है कि युवक ने पढ़ाई से रिश्ते नाते समाप्त कर युवक अपने पिता के साथ काम में लग गया और आज के दिन में आसपास के लोगों के लिए एक सीख बन चुका है. विशाल अपने व्यवसाय से करीब 10 लाख रुपए सालाना की कमाई करता है.
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जिले के थावे प्रखण्ड स्थित रामचन्द्रपुर गांव निवासी दूध विशाल उत्पादन कर लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है. शुरुआती दिनों में कई समस्याओं को झेलते हुए आज वह 15 गायों का पालन करते हुए कुल दूध का उत्पादन करता है. उससे करीब सालाना दस लाख रुपए की आमदनी कमाता है. इसे देखकर आसपास के लोग इसके पास आते हैं और इससे दुग्ध उत्पाद करने का गुर भी सीखते है. आलम यह है कि अधिकांश लोग उसके बताए गए मार्ग पर चलकर दो चार गायों का पालन करने के साथ ही दुग्ध उत्पादन में लगे हुए है.
दुग्ध उत्पादक विशाल की कहानी: बताया जाता है कि यह युवक विशाल अपने जिला मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर अपने रामचंद्रपुर गांव में रहकर अपना काम करता है. इस काम के साथ ही युवक का नाम उन सफल युवाओं के श्रेणी में जुड़ गया है, जिसने अपने अथक मेहनत और प्रयास से खुद की और परिवार समेत आस पास के कई लोगों के लिए बेहतर अवसर दिखाया है.
मेहनती बना विशाल:जानकारी के मुताबिक विशाल पूरे गांव में दुग्ध उत्पादन से कमाई करने का गुर सीखाता है. यह अपने चार भाइयों में सबसे बड़ा भाई है. इसके पिता पेशे से किसान हैं. जिन्होंने दस वर्ष पहले से ही दो गायों को रखकर कारोबार करते थे. उस समय विशाल अपने खुद बीए की पढ़ाई कर रहा था. उसी समय से विशाल के मन मे सरकारी नौकरी करने की इच्छा होती थी. जब वह उससे नहीं हो पाया उसके बाद तब सरकारी नौकरी करने का ख्याल ही मन से निकाल दिया. क्योंकि जिस नौकरी की चाहत उसने अपने मन में संजोया था वह कहीं न कहीं उससे दूर होता हुआ दिखाई दे रहा था. उस समय उन नौकरियों के लिए अच्छे खासे रकम घूस के लिए मांगे जाते थे. हालांकि उसने पांच लाख रुपये घुस देने से मना कर दिया. क्योंकि वह गरीब किसान परिवार से आता था और उस समय उसकी स्थिति उतनी भी सही नहीं थी कि वह उस पैसे को दे पाए.
पशुओं में बढ़ी दिलचस्पी: इसके बाद ही उसके मन में आया कि क्यों न अपने पिता के काम में ही हाथ बढ़ाया जाए और इस काम को ही अच्छे से की जाए. उसी समय से विशाल ने दो गायो में अपना भविष्य ढूंढा और एक बेहतर भविष्य बनाने की कोशिश में लग गया. जिसके बाद उसकी पशुपालन में दिलचस्पी बढ़ने लगी. उसने तय कर लिया कि वह अब पशुपालन का ही काम करेगा. उसी समय 2013 में ही वह उन गायों के दूध आसपास के इलाकों में बेचने लगा. जबकि शुरुआत में ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ. उसके बावजूद उसने उसी काम को जारी रखा और आज के समय में वह दुग्ध उत्पादक के तौर पर जाना जाने लगा. जबकि उन दिनों में उसने यह भी तय किया कि इस बारे में गहन जानकारी जुटाई जाए, फिर आगे और बड़े आकार पर इस काम को लेकर जाया जाएगा. उसी समय से दुधारू नस्लों की गाय-भैंसों की जानकारी लेकर कुछ एक्सपर्ट से भी मिला और अपने बिजनेस को नए सिरे से शुरू कर दिया.