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गोपालगंज में बाढ़ से मुश्किल हालात, चूड़ा-मीठा खाकर लोग गुजार रहे हैं दिन

स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां तीन से चार बार बाढ़ (Flood) आ चुकी है. हर बार शासन-प्रशासन द्वारा सुविधा देने की बात कही जाती है, लेकिन कभी भी कोई सुविधा नहीं मिली. घर में पानी घुसने के कारण छत और मचान ही आसरा है. खाने-पीने की भी काफी दिक्कत हो रही है.

Situation is very difficult due to flood
Situation is very difficult due to flood

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Published : Sep 1, 2021, 5:16 PM IST

गोपालगंज: इन दिनों बाढ़(Flood) से बिहार के कई जिले प्रभावित हैं. गोपालगंज में भी बाढ़ (Flood in Gopalganj) ने बड़ी तबाही मचाई है. सदर प्रखण्ड की 6 पंचायत बाढ़ के पानी से पूरी तरह से घिरी हुई है. गांवों में पानी तेजी से फैल रहा है. लोग जैसे-तैसे गुजर-बसर कर रहे हैं. रहने से लेकर खाने-पीने तक की दिक्कत हो रही है.

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दरअसल वाल्मीकि नगर बराज (Valmiki Nagar Barrage) से छोड़े गए 4 लाख 7 हजार क्यूसेक पानी से दियारा वासियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. उफनाई गंडक ने लोगों को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है. पिछली तीन बार की आई बाढ़ ने पहले ही लोगों को बेघर कर दिया है. अब जो कसर बाकी थी, उसे इस बार की बाढ़ ने पूरी कर दी है.

देखें रिपोर्ट

गोपालगंज जिले के 6 प्रखण्डों के निचले इलाके में रहने वाले लोगों के घरों में बाढ़ का पानी तेजी से घुस रहा है. जिससे कुछ लोग या तो पलायन कर गए हैं या फिर कुछ लोग आज भी पानी के बीच में रहने को विवश हैं.

कठघरा गांव के निवासी बाढ़ प्रभावित लोग सरकारी मदद की आस में हैं. इन्हें कहीं बैठने या सोने की भी जगह नहीं मिल पा रही है. कुछ लोग छत पर शरण लिए हुए है तो कुछ बांस के मचान बनाकर रह रहे हैं.

लंबे समय से पानी में रहने के कारण बाढ़ पीड़ितों के पैर सड़ने लगे हैं. जिस वजह से उन्हें और भी परेशानी झेलनी पड़ती है. बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि पानी के बीच हम लोगों को रहना पड़ता है. कहीं कोई जगह नहीं होने के कारण हम लोग बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. वे कहते हैं कि हर साल की यही स्थिति है.

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लोगों का कहना है कि सरकार जमीन देने का वादा वर्षों से करती आ रही है, लेकिन अभी तक हम लोगों को जमीन नहीं मिल पाई है. हर साल बाढ़ में जान-माल का नुकसान होता है. इस बार तीन से चार-बार बाढ़ का सामना करना पड़ा है. जिससे खाने-पीने की भी परेशानी उत्पन्न हो गई है.

लोगों का कहना है कि किसी तरह चूड़ा-मीठा खाकर गुजारा कर रहे है. जिला प्रशासन द्वारा जो कम्युनिटी किचन बनाया गया है, वह वहां से काफी दूर है. छोटे-छोटे बच्चे और बुजुर्ग भला कैसे तीन किलोमीटर का सफर तय कर खाना वहां जाएंगे.

बाढ़ के कारण इंसानों के साथ-साथ बेजुबान जानवरों की भी मुश्किलें बढ़ गई है. पंचायत में विचरण करने वाले कुत्ते भोजन के लिए छटपटा रहे हैं. पानी से बचने के लिए ये जानवर भी झोपड़ी और छतों पर शरण लेकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे है.

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