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गोपालगंज में बाघ देखे जाने की बात निकली अफवाह, फिशिंग कैट को ग्रामीणों ने समझा टाइगर - गोपालगंज में बाघ का डर

ग्रामीणो (Villager Mistake Fishing Cat As Tiger In Gopalganj) में बाघ का डर इस कदर व्याप्त था कि उन्होंने घर से निकलना बंद कर दिया था, लेकिन अब फौजुल्लाहपुर गांव के लोगों ने राहत की सांस ली है.

फिशिंग कैट
फिशिंग कैट

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Published : Oct 25, 2022, 11:12 AM IST

गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर प्रखण्ड के फौजुल्लाहपुर गांव के पास गंडक नदी के किनारे बाघ देखे जाने का मामला महज एक अफवाह (Rumors Of Tiger Sighting In GopalganJ) निकला. जिसके बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है. वन विभाग द्वारा की गई पड़ताल के बाद बाघ नहीं बल्कि फिशिंग कैट देखे जाने की बात सामने आई है. दरअसल पिछले दो दिनों से फौजुल्लाहपुर गांव में बाघ देखे जाने की अफवाह काफी तेजी से फैल रही थी.

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लोग ने घर से निकलना कर दिया बंदः बाघ का डर ग्रामीणो में इस कदर व्याप्त था कि लोग घर से निकलना नहीं चाहते थे. शनिवार की रात गांव के कुछ ग्रामीणों द्वारा बाघ के जैसे ही एक जानवर देख कर पुलिस को सूचित किया था. पुलिस द्वारा तत्तकाल इसकी जानकारी वन विभाग को दी गई. मौके पर पहुंची वन विभाग के अधिकारी और कर्मियों ने बाघ की खोजबीन और उसके पग मार्ग की जांच की. जांच में पग चिन्ह 60 से 70 mm देखा गया जबकि बाघ के पग चिन्ह 120 mm होता है. वन विभाग द्वारा आस पास की गई खोजबीन में कहीं कोई जानवर के अवशेष नहीं दिखा, जिनसे यह समझा जा सके कि बाघ यहां आया है.

ग्रामीणों ने ली राहत की सांसःवहीं, जब वन विभाग के अधिकारीयों द्वारा लोगों को फिशिंग कैट की तस्वीर दिखाई गई. तब जाकर ग्रामीणों ने कहा कि यही वह जानवर था. फिशिंग कैट मिलने के बाद ग्रामीणों ने अब राहत की सांस ली है. इस संदर्भ में वन विभाग के रेंजर ऑफिसर राजेश कुमार ने बताया कि बाघ देखे जाने का मामला महज एक अफवाह था. ग्रामीणों ने फिशिंग कैट को बाघ समझ लिया था. जिसके बाद वन विभाग की टीम द्वारा जांच पड़ताल की गई. जांच पड़ताल में फिशिंग कैट देखे जाने की बात सामने आई है.

"फिशिंग कैट देखने में बाघ की तरह होती है, वह एक बिल्ली की प्रजाति होती है. जो डेढ़ फीट की होती है जबकि बाघ उससे काफी बड़ा होता है. बाघ रहता तो अब तक आस पास के इलाकों में हमला कर दिया होता और वह आदमी से नहीं डरता है. जंगलों में बाघ द्वारा खाये गए जानवरों के कुछ अवशेष भी रहता लेकिन वह भी नहीं मिला है. जिससे साफ पता चलता है कि गांव में कोई बाघ नहीं आया था"-राजेश कुमार, रेंजर ऑफिसर, वन विभाग

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