गुजरात के श्रुति मंदिर की तर्ज पर पंडाल गोपालगंज : बिहार के गोपालगंज में शहर के स्टेशन रोड स्थित गंडक कालोनी के पास भव्य पूजा पंडाल बनाया गया. इस पूजा पंडाल को दूर से देखकर कोई भी इसे गुजरात का श्रुति मंदिर समझ बैठेगा. क्योंकि यहां इसी मंदिर की प्रतिकृति के तौर पर पंडाल का निर्माण किया गया है. दूर से देखने पर यह संगमरमर से बना मंदिर प्रतीत होता है. यहां प्रत्येक वर्ष भव्य पंडाल का निर्माण किया जाता है. इस साल राजादल पूजा समिति ने गुजरात के श्रुति मंदिर का निर्माण कराया है.
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गुजरात के श्रुति मंदिर की बनाई गई है प्रतिकृति : जिले में दुर्गा पूजा को लेकर लोगो में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. जगह-जगह पूजा पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है. हर जगह एक से बढ़कर एक पूजा पंडाल का निर्माण किया गया है. वहीं बात करें राजा दल पूजा समिति की तो यहां प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी भव्य पंडाल का निर्माण कार्य कराया गया है. इस बार पंडाल को गुजरात स्थित सारंगपुर के श्रुति मंदिर का रूप दिया गया है.
70 से 80 लाख हुए हैं खर्च : श्रुति मंदिर की तर्ज पर बने इस पूजा पंडाल में मां दुर्गा के अलौकिक रूप का दर्शन भक्त करेंगे. इसको बनाने में करीब 70 से 80 लाख रुपया खर्च किया गया है. बताया गया कि 2 माह से 80 कारीगर इस पंडाल के निर्माण कार्य में लगे हुए थे. राजा दल पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि इस पंडाल के निर्माण का जिम्मा कलकत्ता के कारीगरों को दिया गया था जो पिछले दो माह से इस कार्य में लगे हुए थे.
90 फीट है पंडाल की ऊंचाई : बताया गया कि श्रुति मंदिर के प्रारूप वाले पंडाल की ऊंचाई 90 फीट और चौड़ाई 60 फीट है. वहीं मूर्ति की ऊंचाई 18 से 20 फीट है. पूजा समिति के सदस्य प्रेमचंद्र ने बताया कि यहां बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ होती. इस बार गुजरात के सारंगपुर स्थित श्रुति मंदिर के तर्ज पर पंडाल का निर्माण किया गया है. इस पंडाल की लागत करीब 35 लाख रुपये है. इसका निर्माण कलकत्ता के उत्तम दादा और उनके 30 सहयोगियों के सहयोग से किया गया है.
श्रुति मंदिर की तर्ज पर बना पंडाल "इस पंडाल के निर्माण में करीबन 35 लाख रुपया खर्च हुआ है. वहीं मूर्ति निर्माण कलकत्ता के मूर्तिकार विश्वजीत पाल अपने दस सहयोगियों के साथ करीब 5 लाख रुपये की लागत से कर रहे हैं. जबकि बनारस के मनोज जायसवाल ने लाइटिंग और फूल की व्यवस्था की है. इसकी लागत 12 लाख रुपये होगी. मूर्ति, लाइटिंग, पंडाल समेत विभिन्न खर्च में 70 से 80 लाख का खर्च होने का अनुमान है."- प्रेमचंद आर्य, सदस्य, पूजा समिति
41 वर्षों से समिति कर रही है पूजा :राजादल के अध्यक्ष मोहन प्रसाद गुप्ता ने बताया कि वर्ष 1982 से निरंतर पूजा का आयोजन होता रहा है. इसमें स्थानीय लोगों का भरपूर सहयोग होता है. शारदीय नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की प्रतिमा और भव्य पंडाल का निर्माण भक्तों के सहयोग से किया जाता है. इस स्थान पर हर वर्ष थीम के आधार पर अलग-अलग पंडाल का निर्माण किया जाता है. ये पूरे इलाके के लोगों के लिए आकर्षण का विषय रहता है. ऐसे में भीड़ को संभालने के लिए भी खास व्यवस्था की जाती है.
"इस बार भी भीड़ को नियंत्रित करने एक लिए रणनीति बना ली गई है. यहां शहर के अलावा दूसरे जिले और राज्य के लोग भी पहुंचते है और मां का दर्शन करते है. 2000 फीट की दूरी तक साज-सजावट की गई है. मेले के दौरान सुंदर साज-सजावट से आसपास की सड़क भी रोशन हो जाएगी."- मोहन प्रसाद गुप्ता, अध्यक्ष, पूजा समिति
2000 फीट की दूरी तक की गई है सजावट : मोहन प्रसाद ने बताया कि फूल, लाइट, झालर व कपड़ों से तोरण द्वार बना है. करीब 2000 फीट की दूरी तक साज-सजावट की गई है. पूजा पंडाल व आसपास लाइट की विशेष व्यवस्था हो रही है. दशहरा मेले के दौरान होने वाले भीड़ को देखते हुए पूजा समिति 250 स्वयंसेवकों को विभिन्न जगहों पर तैनात करेगी. पूरे मेले के दौरान किसी को किसी तरह की कोई असुविधा न हो इसका ख्याल रखा जायेगा.
असामाजिक तत्वों पर रहेगी नजर : अध्यक्ष ने बताया कि सुरक्षा के लिहाज से गुप्त तरीके से 50 स्वयंसेवक ऐसे होंगे जो असमाजिक तत्वों पर नजर रखेंगे. जबकि विभिन्न जगह सीसीटीवी कैमरे से लोगों पर नजर रखी जायेगी. गर्भ गृह में एसी लगाया जाएगा. अत्यधिक भीड़ होने के कारण पंडाल के अंदर काफी गर्मी का हो जाती है. इसको देखते हुए गर्भ गृह को वातानुकूलित बनाया गया है. महिला और पुरुषों के लिए प्रवेश और निकास की अलग अलग व्यवस्था की गई है.