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गोपालगंज में बाढ़ की भयावह तस्वीर, बीमार को इलाज के लिए कई किलोमीटर खटिया पर पैदल ढो रहे लोग - खटिया पर मरीज को ढोते हैं लोग

बाढ़ का दंश झेल रहे बरौली प्रखंड के रुपन छाप गांव के लोगो ने ईटीवी भारत संवाददाता को अपना दुखड़ा सुनाया. पूरा गांव जलमग्न हो चुका है. बावजूद इसके अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने अब तक आपदा में अब कर सुध नहीं ली है.

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Published : Jul 31, 2020, 2:37 PM IST

गोपालगंजःजिले में बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई है. इससे बड़ी आबादी प्रभावित हुई है. ईटीवी भारत की टीम आपको अलग-अलग बाढ़ प्रभावित इलाकों से जानकारी मुहैया करा रही है. ऐस में ईटीवी भारत संवाददाता अटल बिहारी पांडे बरौली प्रखंड के रुपन छाप गांव में पहुंचे. जहां, बाढ़ के पानी फैलने से लोगो का जीना दूभर हो गया है. वहीं, बिमार पड़ने पर लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. पूरा गांव सरकारी मदद की आस में है लेकिन अब तक कोई बी सुविधा नहीं मिल पाई है.

बाढ़ प्रभावित इस गांव में न तो भोजन की व्यवस्था है और ना ही सोने की. बीमार होने पर इलाज के लिए लोग मरीज को आज भी खटिया पर लादकर कई किलोमीटर दूर ले जाने के लिए विवश हैं. हालांकि, गांव में कई ऐसे लोग हैं जो कई दिनों से बिमार हैं लेकिन मेडिकल सुविधा आस-पास में नहीं रहने की वजह से इसी पानी के बीच रहने को मजबूर है. लेकिन अधिकारी और जन प्रतिनिधि इस विकट परिस्थिति में भी कही नजर नहीं आते.

पानी के बीच रहने को मजबूर ग्रामीण

बाढ़ प्रभावित गांव में भयावह तस्वीर

जिले में आई विनाशकारी बाढ़ ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. बाढ़ पीड़ितों को लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बावजूद इसके प्रशासन की तरफ से अब तक कोई भी मदद नहीं मिल पा रही है. ऐसे में अपने भाग्य को कोस रहे लोगों के बीच ईटीवी भारत पहुंच कर उनकी आवाज को अधिकारियों के कान तक पहुंचाने की कोशिश में जुटा है. रुपन छाप गांव में ईटीवी भारत के टीम ने अपने कैमरे में कई भयावह तस्वीरें कैद की. गांव के कुछ लोग घर में ताला लगाकर गांव से पलायन कर चुके हैं. वहीं, अधिकांश लोग अभी भी अपने गांव में पानी के बीच कैद हैं.

देखें रिपोर्ट

बीमार पड़ने पर खटिया बनता है सहारा

गांव मे कई तस्वीर देखने को मिली. यहां के लोग किस स्थिति में रहने को बाध्य हैं. विनोद साह ने बताया कि उनकी तबीयत पिछले एक सप्ताह से खराब है. घर मे अकेला रहने के कारण गांव में फंसे हैं. पूरे घर में पानी फैल चुका है. घर के बाहर खटिया को बांस में बांध पड़े हैं. उन्हें किसी मददगार का इंतजार है. वहीं, रामपुकार की बेटी कई दिनों से बीमार है. सरकारी सुविधा नहीं मिलने पर मजबूरन बेटी को खटिया पर लिटा कर 4 से 5 किलोमीटर पानी को पार कर एनएच पर स्थित डॉक्टर के यहां गए. बता दें कि गांव में खाने पीने, रहने से लेकर बाहर निकलने के लिए नाव भी नहीं है. जिससे परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.

रुपन छाप गांव में भरा बाढ़ का पानी

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