गोपालगंज:जिले के बरौली प्रखंड के सलेमपुर गांव में प्राचीन पंचमुखी शिव मंदिर स्थित है. यहां जड़ी-बूटियों की दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं. इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में शाह वंश ने कराया था. लगभग कई दशकों तक यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र रहा. लेकिन, बीतते समय के साथ इसकी महत्ता खत्म होती चली गई. आज यह मंदिर सरकारी अनदेखी का शिकार है.
बहरहाल, यहां पाए जाने वाली जड़ी-बूटियों से आज भी हजारों लोग लाभांवित हो रहे हैं. केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशी भी इसे ले जाते हैं. जानकारी के मुताबिक इस मंदिर परिसर के इर्द-गिर्द जो जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, वह नेपाल के तराई इलाकों के अलावा कहीं नहीं मिलती हैं. जानकार बताते हैं कि यह मंदिर जो अब खंडहर बन चुका है, यह प्रकृति का खजाना है.
दुर्लभ जड़ी-बूटियां मौजूद यहां दुर्लभ जड़ी-बूटियां हैं मौजूद
आयुर्वेद के जानकार वैद्य अरुण उर्फ डीजल बाबा की मानें तो यहां सैकड़ों ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जो असाध्य रोगों में काम आती हैं. यहां उपलब्ध जड़ी-बूटियों जैसे सरीवन का कई दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है. वहीं करजीरी, शक्तिवर्धक का काम करता है. छाए के फूल गुप्त और कुष्ठ रोग में लाभकारी हैं. चित, खून साफ और कुष्ठ रोग में काम करता है. चकवर, मानसिक रोग और बुखार में कारगर है.
मंदिर पुजारी करते हैं देखभाल असाध्य रोगों का रामबाण इलाज
इसके अलावा सरपोका का प्रयोग दिमाग रोग के लिए तो नागरमोथा पेट सम्बंधित रोगों में असरदार है. दूधिया, पीलिया के लिए तो करुआइनी दाद-खाज में, गुरुच डेंगू बुखार समेत पेट रोग में कारगर है. वहीं, पथलचुर मनुष्य और जानवरों के पेट सम्बंधित रोगों को दूर करता है. फेंसा औरत और पुरुष के असाध्य रोगों में काम आता है.
ब्रह्मबुटी जड़ी-बूटी का इस्तेमाल महावारी, लिकोरिया के लिए तो छोटा कटहल सुगर दूर करता है. इनके आलावा भी सैकड़ों ऐसी जड़ी-बूटियां यहां मौजूद हैं, जिसका इस्तेमाल कर जटिल रोगों से निजात पाया जा सकता है. वैद्य यहां आकर जड़ी-बूटियां ले जाते हैं, किसी को कोई रोक-टोक नहीं है.
जड़ी-बूटियों का अस्तित्व आज भी विद्यमान
मंदिर का अस्तित्व खत्म हो गया, लेकिन यहां मिलने वाली जड़ी-बूटियों का अस्तित्व आज भी विद्यमान है. लेकिन बदकिस्मती यह है कि सैकड़ों बहुमूल्य जड़ी बूटियां उपलब्ध होने के बावजूद यहां आज तक किसी ने ध्यान देने की कोशिश नहीं की. एक ओर सरकार की ओर से जगह-जगह हर्बल पार्क बनाने का कार्य किया जा रहा है. वहीं, यहां मौजूद सैकड़ों जड़ी-बूटियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कोई भी योजना शासन प्रशासन के पास नहीं है.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट 19वीं सदीं में था आस्था का केंद्र
बरौली प्रखंड के सलेमपुर गांव में 85 साल से प्राचीन पंचमुखी शिव मंदिर खंडहर में तब्दील है. सन 1934 में आई विनाशकारी भूकंप में यह ऐतिहासिक मंदिर ध्वस्त हो गया. जब मंदिर अस्तित्व में था, तब लोग दुआ मांगने के साथ यहां के जड़ी-बूटी का इस्तेमाल कर स्वस्थ होते थे.