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गोपालगंज में भारत बंद का कोई असर नहीं, खुली रही दुकानें, सड़कों पर दौड़ते रहे वाहन - farmer movement

भारत बंद के दिन गोपालगंज में आम दिनों के तरह लोग अपने रोजाना के कार्य में लगे रहे. शहर के पॉश इलाका मौनिया चौक पर लोगों की भीड़ भाड़ लगी रही. सभी दुकानें भी खुली रहीं.

भारत बंद
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Published : Sep 27, 2021, 6:43 PM IST

गोपालगंज: तीन कृषि कानून(Farm Law) के खिलाफ किसानों ने सोमवार को भारत बंद (Bharat Bandh) का ऐलान किया था. जिनके समर्थन में विपक्षी दलों ने भी बिहार में विरोध मार्च निकाला और प्रदर्शन किया. लेकिन बन्द के दौरान गोपालगंज की सड़कों पर रोज की तरह वाहने दौड़ती रहीं और दुकाने खुली रहीं. यहां भारत बंद का कोई असर नहीं दिखा. हालांकि माले कार्यकर्ताओं ने एक जुलूस निकालकर कृषि कानून के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की.

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दरअसल केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानून को विपक्षियों द्वारा काला कानून माना जा रहा है. विपक्ष सरकार को घेरने की लगातार कोशिश किए जा रहा है. ताकि कृषि कानून वापस हो सके. जिसको लेकर आज अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्यवय समिति के आह्वाहन पर पूरे भारत को बन्द किया गया. लेकिन गोपालगंज में इस भारत बंद का कोई असर नहीं दिखा.

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स्थानीय लोगों के मुताबिक गोपालगंज में सुबह से ही बंदी का कोई असर नहीं है. आवागमन पूरी तरह से चालू रहा है. इस संदर्भ में ईटीवी भारत ने लोगों की राय जानी तो कुछ लोगों ने बताया कि वर्तमान में महंगाई की मार सभी को झेलनी पड़ रही है. महंगाई चरम पर है. लेकिन बंदी का कोई असर नहीं है. विपक्षी पार्टियों द्वारा दुकान भी बन्द नहीं कराई गई. जिससे हम लोग दुकान को खोले हुए हैं.

वहीं, कुछ लोगों ने कहा कि कृषि कानून एक अच्छा कानून है और इसे कानून लागू होना चाहिए. यह कानून किसानों के हित का कानून है. विपक्षी पार्टियों द्वारा किसानों को गुमराह किया जा रहा है. इस कानून से किसानों को दोगुना चौगुना फायदा मिलेगा.

वहीं, भारत बन्द के दौरान माले कार्यकर्ताओं द्वारा सुबह में एक जुलूस निकाला गया. जहां केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई और कानून को वापस लेने की मांग की गई. विपक्ष ने कृषि कानून के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की. ये जुलूस शहर के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरा. लेकिन कोई कहीं भी जाम और बंद की स्थिति नहीं बनी.

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बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में आज राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया था. किसान संगठनों के भारत बंद को कांग्रेस समेत तमाम गैर-एनडीए दलों ने समर्थन था. आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) को छोड़कर अन्य सभी ट्रेड यूनियन ने भी हड़ताल को अपना समर्थन दिया. बिहार की राजधानी पटना में इसका व्यापक असर दिखा.

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