गोपालगंज: पंजाब के अमृतसर में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के हेडक्वार्टर में रविवार सुबह जवान (bsf jawan firing In Amritsar ) द्वारा की गई गोलीबारी (Amritsar BSF Camp Firing) में बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले हेड कांस्टेबल रामविनोद सिंह (Last Rites Of Martyr BSF Jawan Ramvinod Singh) भी शहीद हो गए हैं. शहीद जवान जिले के मांझागढ़ थाना क्षेत्र के बहोरा टोला निवासी स्व. राघव सिंह के पुत्र थे, जो बीएसएफ 144वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल थे.
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चश्मदीद बेटे ने बताया कैसे हुई घटना: मंगलवार को शहीद के पार्थिव शरीर को बीएसएफ के साथी घर लेकर पहुंचे जहां राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई. उसके बाद इस पूरे घटनाक्रम के चश्मदीद शहीद जवान के बेटे ने जो खुलासा किया वो सुनकर कोई भी विचलित हो जाए. उस दर्दनाक मंजर को सुनकर आप भी सन्न रह जाएंगे. बताया जाता है कि महज मजाक उड़ाने के विवाद में यह पूरी वारदात हुई.
बीएसएफ जवान ने की फायरिंग:दरअसल 6 मई की सुबह पंजाब के अमृतसर स्थित सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) मुख्यालय में एक जवान ने तैश में आकर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. इस घटना में गोली चलाने वाले जवान सहित 5 जवानों की मौत हो गयी. गोली चलाने वाले आरोपी जवान की पहचान महाराष्ट्र के सुतप्पा के रूप में हुई है. इस घटना में शहीद जवानों में गोपालगंज के बहोरा टोला गांव के रामविनोद सिंह शामिल हैं. घटना के दिन भी सुबह 9.25 बजे रामविनोद सिंह के साथ उनका बेटा कर्णवीर सिंह भी बीएसएफ कैंप में थे.
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फायरिंग में 5 की मौत:चश्मदीद कर्णवीर के मुताबिक महाराष्ट्र का आरोपी जवान सुतप्पा कैंप में फायरिंग करते हुए आया और पहले जीडी को मार दिया, उसके बाद रामविनोद सिंह के पास पहुंचा. जहां गोपालगंज के वीर सपूत रामविनोद सिंह ने हिम्मत दिखायी और सुतप्पा के रायफल को पकड़ लिया और उसे रोकने की कोशिश की. लेकिन सुतप्पा ने रामविनोद सिंह के सीने को गोलियों से छलनी कर दिया. उसके बाद एक मेस वाले को मौत के घाट उतार दिया.
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"हमलोग गोल्डन टेंपल गए हुए थे. 9:25 बजे के आस पास उधर से हमलोग आ रहे थे. उधर से जवान फायरिंग करते हुए आ रहा था. पहले जीडी को मारा फिर मेरे साथ गए हुए कटारी अंकल की गाड़ी पर फायरिंग किया लेकिन वो बच गए. फिर साइड से पापा के पास आ गया. पापा को कुछ समझ में नहीं आया और पापा ने उसकी बंदूक पकड़ ली. तब तक सीने में गोली चला दिया. मैं उनको उठाने के लिए झूका तो मेरे पर भी फायर कर दिया. फिर मैं वहां से भागा. एक फायर कर मेस में भी किसी को मारा था. मेरे सामने ही चार लोगों को गोली मार दिया. गोली चलाने वाले जवान का दो तीन दिन पहले किसी ने मजाक उठाया था. वो बोला भी था कि मैं जाऊंगा तो अकेले नहीं जाऊंगा सबको लेकर जाऊंगा."-कर्णवीर सिंह, शहीद रामविनोद सिंह के बेटे
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बेटे ने भागकर बचाई अपनी जान: उसके बाद कर्णवीर के समाने चार जवानों को गोली मार दी. किसी तरह से कर्णवीर सिंह ने भागकर अपनी जान बचाई और परिवार को इसकी सूचना दी. रामविनोद सिंह बीएसएफ 144वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल थे.मंगलवार को शहीद सैनिक के पार्थिव शरीर को अंत्येष्टी के लिए घर लाया गया. बहोरा टोला में राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टी किया गया. बीएसएफ जवानों ने सलामी दी. अमृतसर में बीएसएफ के हेडक्वार्टर में जवानों के बीच हुई दिल-दहला देनेवाली वारदात ने शहीद के पूरे परिवार को आंसूओं में डूबो दिया है.
परिजनों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग:शहीद की पत्नी सुशीला देवी तिरंगे से लिपटे पति के पार्थिव शरीर के ताबूत से लिपटकर बार-बार बेहोश हो जा रही थी, तो भतीजे को सदमा लगने से सड़क पर बेहोश होकर गिर गया. शहीद जवान की तस्वीर दिखाकर रोते-बिलखते इस परिवार ने गृह विभाग से घटना की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है. शहादत को याद कर पूरा परिवार सिहर जा रहा है. शहीद के परिजनों ने सरकार से रामविनोद सिंह के नाम पर गांव में प्रवेश द्वार और प्रतिमा बनाने की मांग की है.
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परिजनों के अनुसार राम विनोद सिंह पांच भाइयों में सबसे बड़े हैं. बीते 29 नवंबर को अपनी भतीजी की शादी में घर आये थे और 15 दिसंबर को ही अमृतसर बीएसएफ कैंप में गये थे. 1999 बैच के राम विनोद सिंह की अमृतसर में पोस्टिंग 2020 में हुई थी और इकलौते बेटे करणवीर सिंह की पढ़ाई के लिए इसी साल वे वीआरएस लेने वाले थे. तीन बेटियों के पिता राम विनोद सिंह अपनी सभी बेटियों की शादी कर चुके हैं.
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