गोपालगंज:गर्मी की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में बिहार के विभिन्न जगहों से आग लगने की घटनाएं (bihar fire incident) सामने आती हैं. आग पर काबू पाने के लिए दमकल की गाड़ियां ही कारगर साबित होती हैं. वहीं गोपालगंज जिले में आग पर काबू पाने वाले फायर ब्रिगेड विभाग (Gopalganj Fire Department) की हालत खस्ताहाल है. दरअसल जिला मुख्यालय के हजियापुर में बना फायर स्टेशन (fire station Gopalganj) 52 सौ रुपये किराये पर विस्कोमान भवन में संचालित होता है.
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52 सौ रुपये किराये पर संचालित होता है फायर ब्रिगेड: भीषण गर्मी में फायर ब्रिगेड कर्मचारी टीन शेड में रहने को मजबूर हैं. साथ ही इस स्टेशन में अपना कोई पंपिंग स्टेशन नहीं है, जिससे गाड़ियों में पानी भरा जा सके. गाड़ी में पानी लोड करने के लिए कर्मचारियों को मिंज स्टेडियम समेत अन्य जगहों पर जाना पड़ता है. पंपिंग स्टेशन नहीं होने के कारण पानी लोड करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. विभिन्न निजी जगहों पर से पानी लोड कर आग बुझाने की कोशिश की जाती है. हजियापुर में बना फायर स्टेशन 52 सौ रुपये किराये पर विस्कोमान भवन में संचालित होता है.
आग पर काबू पाने के मात्र 18 गाड़ियां:अगर अगलगी की घटना घट जाए तो फिर मिंज स्टेडियम या बस स्टैंड माणिकपुर बंजारी से पानी भरवाते हैं. लगभग 32 लाख की आबादी वाले इस जिले में केवल 36 फायर कर्मचारी हैं,जबकि लगभग 60 कर्मचारियों की जरूरत है. पूरे जिले में आग बुझाने के लिए मात्र 18 गाड़ियां हैं. जिसमे एक गाड़ी इस मौसम में भी खराब चल रही है. आग बुझाने के समय एक गाड़ी पर कुल पांच कर्मचारियों का होना आवश्यक होता है. लेकिन एक गाड़ी पर एक से दो कर्मचारी ही मिल पाते हैं.
अधिकांश संस्थानों के पास नहीं है NOC: बता दें कि जिले का क्षेत्रफल 2033 स्क्वायर किलोमीटर है और आबादी लगभग 32 लाख है. इसमें 28 लाख से ऊपर आबादी ग्रामीण इलाकों में गुजर बसर करती है. जिले की सुरक्षा मात्र 36 फायर कर्मियों पर है. वहीं अधिकांश शिक्षण व औद्योगिक संस्थानों के पास एनओसी नहीं है. इतनी बड़ी आबादी वाले जिले के कई संस्थानों ने फायर ब्रिगेड से एनओसी नहीं ली है. इनमें औद्योगिक इकाईयां, शिक्षण संस्थान व अस्पताल भी शामिल हैं.
क्या कहना है अग्निशमन पदाधिकारी का: अग्निशमन पदाधिकारी उपेन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि 16 गाड़ियों में से 1 गाड़ी खराब है. रहने की स्थिति भी काफी जर्जर है. करकट के शेड में धूप में रहने से दिक्कत होता है. आग बुझाकर आने के बाद वहां बैठने का भी मन नहीं करता है. करकट के कारण बहुत गर्मी लगती है. अपना बिल्डिंग नहीं होने के कारण पानी भरने की भी व्यवस्था नहीं है.