गोपालगंज:जिले के कुचायकोट प्रखंड के उचका गांव निवासी नीतीश सिंह लोगों के प्रेरणा-स्त्रोत हैं. दिव्यांग नीतीश तीन साल से जरूरतमंदों और अपने जैसे दूसरे कई दिव्यांगों की मदद करते हैं. इसके अलावा वे लोगों को जागरूक करने के लिए गांवों का भ्रमण भी करते है. नीतीश को राष्ट्रीय स्तर के अजातशत्रु अवार्ड से नवाजा गया है.
हादसे में टूटी रीढ़ की हड्डी
कुचायकोट प्रखंड के उचकागांव निवासी नीतीश भले ही अपने शारीरिक तौर पर अक्षम हों, लेकिन उनके विचार और उनके उठाए गए कदम सैकड़ों दिव्यांगों और जरुरतमंदो का हौसला बने हुए है. 2014 में निर्मल सिंह के इकलौता बेटे नीतीश एक कार हादसे का शिकार हो गया. बाबा धाम से यात्रा कर लौट रहा नीतीश गंभीर रूप से घायल हो गया. 14 महीने तक कोमा में रहे नीतीश को जब होश आया, तब तक उसके सारे जख्म तो भर गए थे. लेकिन, रीढ़ की हड्डी टूट गई थी. इस वजह से अब वो कोई काम नहीं कर सकता था.
दिव्यांगों की मदद का संकल्प
नीतीश को इस वजह से काफी दुख पहुंचा. अपना दर्द समेटे नीतीश को उसके मां-बाप और दोस्तों ने हौसला दिया. इसी दौरान उनके मन में ख्याल आया कि इस तरह न जाने कितने दिव्यांग होंगे, जो मुसीबत में अपनी जिंदगी काट रहे होंगे.तभी उसने उनकी मदद करने की ठानी. परिवार और दोस्तों की मदद से नीतीश ने जागरूकता अभियान चलाया. दिव्यांगों की मदद की और कइ लोगों का मुफ्त में इलाज कराया.