गोपालगंज: जिले के सदर प्रखंड के कररिया गांव (Kararia Village farmer earn upto 20 lakh rupees ) निवासी स्व नंदलाल भगत के बेटे मेघराज प्रसाद खस की खेती (kisan life changed in Gopalganj) कर खास बन गए हैं. करीब 20 एकड़ में खस की खेती कर सलाना 20 लाख रुपये की आमदनी कमा रहे हैं. साथ ही उन किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं, जिन किसानों के फसल बाढ़ और अतिवृष्टि में बर्बाद हो जाते हैं. बाढ़ और अतिवृष्टि से परेशान किसानों के लिए खस की खेती किसी वरदान से कम नहीं है.
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खस की खेती से मेघराज बने सफल किसान:कररिया गांव निवासी मेघराज उन सफल किसानों में गिने जाते हैं जिन्होंने मेहनत से अपने लिए रास्ता बनाया और आत्मनिर्भर बने. दो भाइयों और एक बहनों में बड़ा मेघराज के पिता पेशे से किसान थे, जो अन्य किसानों की तरह ही अपनी खेती करते थे. मेघराज भी अपने पिता के कामों में हाथ बटाते थे. तब उनकी पारिवारिक स्थिति काफी खराब थी. खेती से पूरा परिवार बमुश्किल से चल पाता था. जिसके कारण मेघराज नन मैट्रिक तक की ही पढ़ाई कर सके. तभी उन्होंने मन में यह ठान लिया कि एक न एक दिन वो ऐसी खेती कर आत्मनिर्भर बनेंगे जो अन्य लोगों की खेती से अलग हो और कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे.
नेट पर सर्च कर की खेती: मेघराज ने अरूणाचल में एक मित्र के सहयोग से औषधीय पौधों के बारे के जानकारी पाई और नेट पर सर्च कर कम दाम में बेहतर काम करने के लिए खस के खेती के बारे में पता लगाया. जिसके बाद तत्काल लखनऊ के सीमैप रिसर्च सेंटर गए जहां से उन्होने 20 हजार में 10 हजार बीज खरीदी और अपने खेतों में डाल दी. शुरुआती दौर में उन्होंने एक बीघे मे खेती की जिसमें एक लाख की आमदनी हुई. देखते ही देखते उन्होंने 20 बीघे में खेती शुरू कर दी.
कहते थे लोग 'पागल':मेघराज बताते हैं कि उन्होने जब खेती की शुरुआत की थी तो परिवार समेत आसपास और सगे संबंधियों ने कई तरह की बातें कहीं. कई लोगों ने उन्हें पागल तक कह दिया कि घास की खेती कर क्या कुछ कर पाएगा. अगर धान और गेहूं की खेती करता तो कुछ अनाज होता था लेकिन घास की खेती से क्या होने वाला है. लेकिन सभी की बातों को अनसुना कर मेघराज ने अपनी किस्मत बदल डाली. आज वही लोग इस किसान की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.