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गोपालगंजः दिव्यांग का दूसरा दिव्यांग बना सहारा, नहीं मिली इसे कोई प्रशासनिक मदद

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Published : May 10, 2020, 10:56 AM IST

एक दिव्यांग मजदूर प्रवीण कुमार अपने ट्राई साइकिल से दिल्ली से बेगूसराय जाने के दौरान गोपालगंज जिले के बल्थरी चेक पोस्ट पहुंचा. जहां पहुंचते ही इसे एक आशा की किरण जगी की अब यहां से ट्राई साइकिल नहीं चलाना पड़ेगा. अब बस से यहां के प्रशासन सही सलामत उसके मुकाम तक भेज देंगे. लेकिन कुछ ही देर में इस दिव्यांग की सारी आशा निराशा में तब्दील हो गई. क्योंकि इस दिव्यांग पर किसी की दया नहीं आई, जो इसे बस पर चढ़ा सके.

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गोपालगंजःजिले के बल्थरी चेकपोस्ट पर दिल्ली से अपने ट्राइसाईकिल से पहुंचे एक दिव्यांग को प्रशासनिक सुविधा नहीं मिल पाई. जिससे ये दिव्यांग मजबूरन ट्राई साइकिल से ही अपने मुकाम की तरफ चल दिए. लेकिन रास्ते में उसे एक दिव्यांग ने सहारा देकर मानवता धर्म का पालन किया.

दिव्यांग को नहीं मिली प्रशासनिक सुविधा
दरअसल कोरोना की कहर देश मे इस कदर पड़ी की सरकार ने लॉक डाउन घोषित कर दिया. जिसका सबसे ज्यादा असर गरीबों पर पड़ा है और इन लाचार गरीब मजबूर मजदूरों को इस विकट परिस्थिति में अपनी मुकाम याद आया और जिसे जैसी जो साधन मिली वह अपने मुकाम की तरफ रवाना हो गया. चाहे वह मजदूर रिक्शा से चला हो, ठेला से चला हो, साईकिल से चला हो या पैदल ही क्यों न अब ऐसे में दिव्यांगों ने भी अपने हौसला का परिचय दिया है और हजारों किलोमीटर का सफर तय कर अपने मुकाम के लिए चल पड़े है.

ट्राई साइकिल से ही दिव्यांग निकल पड़ा अपने गंतव्य
कुछ इसी तरह का मामला उस वक्त देखने को मिला जब एक दिव्यांग मजदूर प्रवीण कुमार अपने ट्राई साइकिल से दिल्ली से बेगूसराय जाने के दौरान गोपालगंज जिले के बल्थरी चेक पोस्ट पहुंचा. जहां पहुंचते ही इसे एक आशा की किरण जगी की अब यहां से ट्राई साइकिल नहीं चलाना पड़ेगा. अब बस से यहां के प्रशासन सही सलामत उसके मुकाम तक भेज देंगे. लेकिन कुछ ही देर में इस दिव्यांग की सारी आशा निराशा में तब्दील हो गई क्योंकि इस दिव्यांग पर किसी की दया नहीं आई, जो इसे बस पर चढ़ा सके.

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दिव्यांग की दूसरे दिव्यांग ने की मदद
ये दिव्यांग हुक्मरानों के आगे गिड़गिड़ाया हाथे जोड़ी, मिन्नते की लेकिन किसी ने इसे बस पर चढ़ाने की कोशिश नहीं की. देखते ही देखते बस का सीट फूल हो गया और उसके आंखों के सामने बस खुल गई. ये दोनों पैर से पोलियो ग्रसित लाचार दिव्यांग सिर्फ और सिर्फ उस बस को देखता रहा. लेकिन फिर हिम्मत जुटाकर अपने मुकाम के लिए ट्राई साइकिल से रवाना हुआ. चेक पोस्ट से 25 किलोमीटर दूर जब पहुंचा, तब एक दिव्यांग मुम्बई से अपनी जुगाड़ी गाड़ी से दरभंगा जा रहा था, तभी उसने इस दिव्यांग को देखा और मदद के लिए हाथ बढ़ाया. इसे देख उस दिव्यांग प्रवीण के आंखों मे खुशियां लौट आई और उसने कहा कि एक दिव्यांग का दिव्यांग ही मददगार साबित हुआ.

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