गोपालगंजः बिहार के कई जिलों में लगातार बच्चा चोरी के भय से लोगो में दहशत है. लोग अपने बच्चों को अपनी आंखों से दूर नहीं रख रहे हैं. आलम यह है कि अब लोगों ने अपने बच्चों को आंगनबाड़ी या स्कूल भेजना बंद कर दिया है. जिसके कारण स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. आंगनबाड़ी केंद्र पर अब सिर्फ सेविका, सहायिका और स्कूल में शिक्षिका ही नजर आती हैं. जिले में बच्चा चोरी की घटना का ज्यादा असर देखा जा रहा है.
स्कूल में मायूस बैठी शिक्षिका स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र नहीं पहुंच रहे बच्चे
ईटीवी भारत की टीम जब थावे प्रखण्ड के वेदु टोला गांव के आंगनबाड़ी व स्कूल पहुंची, तो यह देख कर दंग रह गई कि जिस स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चे भरे रहते थे, वहां के क्लास रूम में सन्नाटा पसरा हुआ है. हमारी टीम सबसे पहले आंगनबाड़ी केंद्र पहुंची, जहां सिर्फ दो चार बच्चे बैठे हुए थे. सेविका उन्हें पढ़ा रही थी. जब हमने सेविका पानमती देवी से बात की तो उन्होंने कहा कि पहले यहां 40 बच्चे पढ़ने आते थे. लेकिन जब से बच्चा चोरी का अफवाह फैला, तब से धीरे-धीरे बच्चे कम होते गए. शुक्रवार को तो एक भी बच्चे नहीं आए थे. आज किसी तरह उनके अभिभावकों को समझाने के बाद कुछ बच्चे आए हैं.
अभिभावक नहीं भेजते बच्चों को स्कूल
सेविका ने बताया कि जब हमारी सहायिका गांव में बच्चों को लाने जाती है, तो लोग उनके साथ बच्चों को नहीं भेजते हैं. यह कहकर जाने के लिए कहते है कि अगर मेरे बच्चों को कुछ हो जाएगा तो उसकी जवाबदेही किसकी होगी. लोगों का कहना है कि रोज-रोज बच्चों की चोरी हो रही है. बच्चों की आंख और किडनी निकाल ली जा रही है. काफी कोशिश करने के बाद भी लोग अपने बच्चों को आंगनबाड़ी नहीं भेजते.
आंगनबाड़ी में पसरा सन्नाटा क्लास रूम में पसरा था सन्नाटा
टीम जब नवसृजित प्राथमिक विद्यालय पहुंची तो वहां की स्थिति और भी आश्चर्य करने वाली नजर आई. यहां क्लास रूम में सन्नाटा पसरा हुआ दिखा. सिर्फ दो शिक्षिका कुर्सी पर बैठीं थीं. लेकिन कोई बच्चा स्कूल नहीं पहुंचा था. इस संदर्भ में प्रधान शिक्षिका सुगंधि कुमारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यहां ग्रामीण क्षेत्र के लोग बच्चा चोरी के अफवाह से काफी डरे हुए हैं. जिस कारण अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे. पूरा क्लास खाली पड़ा है. एक भी बच्चा पढ़ने नहीं आता है. हमलोग अपने स्तर से बच्चों के माता-पिता को समझाते हैं. लेकिन वे लोग मानने को तैयार नहीं हैं.
स्कूल में पसरा सन्नाटा और बयान देती शिक्षिका 'बच्चों से बात करने में भी लगता है डर'
इस बच्चा चोरी के भय का शिकार सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि पोषण पुनर्वास केंद्र के कर्मी भी इसके शिकार हो रहे है. इस संदर्भ में पोषण पुनर्वास केंद्र के कर्मी धनन्जय पांडेय से बात की, तो उन्होंने कहा कि हम लोगों का काम गांव-गांव तक कुपोषित बच्चों को चिन्हित करने जाना होता है. किसी भी बच्चों को देखकर उससे बात करना होता है. आपके माता-पिता कहां रहते है, या क्या नाम है. लेकिन वर्तमान समय में बच्चा चोरी की अफवाह से हम लोग भी डरे हुए हैं. इस डर के कारण किसी बच्चे से हम लोग बात भी नहीं करते. क्योंकि कहीं हम लोग भी लोगों के गुस्से का शिकार न हो जाएं.